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7.27.2019

'अनमोल' के भगवंत प्रश्न ?

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     27 July     मन की बात     No comments   

हिंदुस्तान में हिंदी किताबों के पाठकों की संख्या घटती जा रही है। अधिकतर पाठकगण हिंदी किताब के पीछे न्यूनतम 20 रुपये भी खर्च करना नहीं चाहते हैं ! इतना ही नहीं, अगर कोई लेखक किताब के लिए प्रचार करते हैं, तो पाठकों व अन्य लोगों की मानसिक स्थितियां गजब की हो जाती हैं, आखिर लोग ऐसे क्यों हो जाते हैं ? यह हम सभी जानते भी हैं व न भी जानते हैं ! इसी अंतर्द्वंद्व के प्रसंगश: आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, हिंदी उपन्यासकार श्रीमान भगवंत अनमोल जी के कुछ ज्वलंत सवाल, जो उन्हीं के FB वॉल से सादराभार है । ख़ैर, इनके हेत्वर्थ हम उत्तर ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं...

श्रीमान भगवंत अनमोल

अमीश त्रिपाठी की किताब 'रावण' एक जुलाई को रिलीज हुई, एक जून को प्री आर्डर पर लग गयी थी। 24 मई से उसका प्रचार शुरू है, फेसबुक पेज से लेकर स्टेटस, ट्विटर और इंस्टाग्राम सब जगह पर लगातार रोज़ दो तीन पोस्ट होते ही हैं। किसी ने उनसे ये पूछने की जहमत उठाई कि वह इतना प्रचार क्यों करते हैं ? नहीं न ! पर हिंदी लेखक अपनी नई किताब पर अगर दस दिन में सात पोस्ट (दो बचपन की यादें, तीन फोटो, एक इंटरव्यू और एक प्रोफाइल पिक) कर दे, तो लोगों को ऐसा क्यों लगने लगता है कि अति प्रचार हो रहा है ? क्या हिंदी किताबें अंग्रेजी किताबों से कम मेहनत में बिक जाती है ? मने बस एक प्रश्न है ?

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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