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5.10.2019

'वोट करें, देश गढ़ें'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     10 May     फेसबुक डायरी     No comments   

17 वीं लोकसभा चुनाव प्रक्रिया जारी है । सात चरणों में मतदान होने हैं, जिनमें 5 चरण मतदान छिटपुट घटनाओं के साथ पूरे हो चुके हैं ! इन तीनों में ये तथ्य निचुड़कर आए हैं कि इनमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा ली है, किन्तु पुरुष वोटरों की भीड़ और कतार कम देखा गया । महिलाओं में किशोरियों की भीड़ ज्यादा है, उनमें भी पहली बार वोट देनेवाली 18 वर्षीया मतदाताओं की संख्या ज्यादा ही है । हो सकता है, पुरुष मतदाताओं में अधिकांश मध्यवर्गीय मतदाता कामगार के रूप में बाहर रह रहे हो । वहीं पुरुष मतदाताओं में कई कार्यों के नहीं होने को लेकर हताशा और निराशा सम्मिलित है । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, इंजीनियर अवधेश कुमार 'अवध' जी की अनोखी आलेख...,जो ज्ञान की बातें बताते हुए मतदाताओं को जागरूक भी करती है...


डॉ. अवधेश कुमार 'अवध'


जनतंत्र जनतामय होता है यानी जनता के बीच से जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि, जननायक, जननेता, जनसेवक या ऐसे ही बहुत सारे विशेषणों से सुशोभित ! ग्राम पंचायत से संसद तक निर्वाचन की प्रक्रिया ही आधारभूत है। संविधान द्वारा निर्धारित मौलिक अर्हताओं को पूरा करके किसी भी एक पद के लिए दर्जनों उम्मीदवार मतदाताओं के समक्ष होते हैं। वर्षों पुराना विरोधाभासी कथन आज भी चल रहा है कि निर्वाचन द्वारा उम्मीदवारों की परीक्षा होती है। सतही तौर पर सही लगते हुए भी यह आँख मूँदकर मक्खी निगलने जैसा है। 

सच तो यह है कि निर्वाचन प्रक्रिया में मतदान द्वारा पाँच साल (या जहाँ जो निर्धारित हो) की अवधि के लिए मतदाता की परीक्षा होती है। आरोप-प्रत्यारोप और ख़याली पुलाओं का लज़ीज़ व्यंजन लिए हर उम्मीदवार मतदाता को बहलाता है, फुसलाता है, बहकाता है, लुभाता है, धमकाता है या अलादीन का चिराग देने का दिवा स्वप्न दिखाता है......., ऐसे बाजार के बीच उपभोक्ता सरिस मतदाता को मतदान से पूर्व भलीभाँति अध्ययन करना चाहिए। उम्मीदवारों के अतीत का लेखा जोखा, वर्तमान के क्रियाकलाप और भविष्य का निष्पक्ष पूर्वानुमान करना चाहिए। चयनित प्रतिनिधि से अपनी क्या अपेक्षाएँ हैं, यह पूर्ण विवेक के साथ निर्धारित होना चाहिए। एक मतदाता को इतनी तैयारी कर लेने के उपरान्त ही बहुमूल्य मतदान करना चाहिए। तब महसूस होगा कि मतदान करना मतदाता के लिए किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है। भविष्य की दशा और दिशा मतदान द्वारा ही तय होती है जिसपर एक निर्धारित अवधि व्यतीत करना होता है। 

इतिहास बारम्बार गवाह है कि जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र या किसी अन्य मोह में मतदाताओं ने गलत निर्णय लिया और दंड भुगतते रहे। अतीत की इन गलतियों से सीख लेकर अब चुनाव रूपी शस्त्र के प्रयोग का समय आ गया है। जनता को जागृत करें और उचित निर्णय लेने में सहयोग भी। अब किसी भी परिस्थिति में परीक्षा में फेल पास होना है ताकि भविष्य कुशल प्रतिनिधियों द्वारा संचालित हो।

नमस्कार दोस्तों ! 


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