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8.09.2018

'तिरंगा : हमारी आन, बान और शान है'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     09 August     कविता     No comments   

जहां युवाओं की कलम 'फ़ेसबुक' पर आग उगल रही है,  वहीं बुजुर्ग राइटर बस चैटिंग में व्यस्त दिखते हैं । आज जमाना ऐसा आ गया है कि जो राइटर्स देश की परिस्थितियों पर लिखने के प्रसिद्ध होते हैं, वे भी अपनी दिनचर्या को सुधारने और दूसरे पर कमेंट करने पर लगे रहते हैं । आज अंग्रेज भारत छोड़ो की जगह अंग्रेजी भारत छोड़ो पर ध्यान देने की जरूरत है । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से स्नातक तृतीय वर्ष  के छात्र, जो जीव विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान में कैरियर को ढूंढते हुए, साहित्य रूपी सवारी पर निकल पड़े योद्धा हर्षित मिश्र 'नमन' की देशभक्ति से ओतप्रोत कविता, आइये पढ़ें ---
श्रीमान हर्षित मिश्र 'नमन'

'तिरंगा'

फिर आ गया तुम लोगों का हुजूम
अब और कितने टुकड़े करोगे मेरे !
किस मुँह से बोलोगे, कैसे दिलासा दिलाओगे,
कि ये तो अभी नादान-नाजुक परिन्दे हैं !
जब चाहो, जैसे चाहो मुझे इस्तेमाल कर लेते हो,
फिर कभी किसी मजहब का गुलाम कर देते हो !

अरे !!

जिन्हें तुमने सुलाया था, मौत के घाट दंगों में,
मैं लिपट के रोता हूँ, अब भी उन बच्चों से सुरंगों में।
किसी को बस भगवा दिखता है,
तो कोई हरे का ही ढोल पीटता है।
आज फिर बीच चौराहे उन्होंने जला दिए, कोई शास्त्री और सुभाष,
हमने भी किसी हमीद के खून से रंग लिए अपने हाथ।

अरे !!!

तुम मुझे इतने अनजाने बन अचरज से क्यों देख रहे हो ? 
तुम ही तो थे, जो चौराहे पर चाय की चुस्की के साथ सारी,
समस्याओं को सुलझा रहे थे, बातों ही बातों में एक का आरोप साबित कर,
दूसरे को न्याय दिला रहे थे, तुम्हें तो सब पता है ...!
फिर ये कैसे पता नहीं कि एक रंग अमन का भी है मेरे तीन रंगों में ?
मुझे पहचाना नहीं या पहचानने से कर रहे इंकार, मगर भूलना मुझे आसां नहीं !


अरे !!!!

मैं गाँधी का सपना हूँ, तो कलाम हूँ और कल्पना हूँ ।
मैं अशफाक़ और बिस्मिल का याराना हूँ,
मैं पटेल, आज़ाद और भगत-सा दीवाना हूँ।
मैं करगिल की जंग का अंग हूँ, वीर शहीदों के लहू का रंग हूँ ।
मगर तुम्हारी बेशर्मी की हद तो देखो--
मैं यहाँ टुकड़ों में पड़ा और नंगा हूँ,अब तो पहचान लो, मैं तिरंगा हूँ !!!

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email - messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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