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8.05.2018

'ये जो दोस्ती है, हम ना छोड़ेंगे !' (सुश्री आकांक्षा डी. की एक काव्याणु)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     05 August     अतिथि कलम, कविता     No comments   

आज मित्रता दिवस है। ऐतिहासिक कालक्रम में पौराणिक कथाओं तक में मित्रता का वर्णन  है । सुदामा और कृष्ण की दोस्ती अत्युत्तम उदाहरण है । ये जो 'दोस्ती' हैं, कब, कहाँ, कैसे और किनसे 'क्यों' हो जाती हैं, किसी को मालूम नहीं चल पाता ! 'दोस्ती' लिए फ़िल्म भी बन चुकी है । 
परंतु आज के युग में यही दोस्ती फ़ायदा देखकर ही होती हैं ! कुछ दोस्ती कैटेगरी से हटकर होती हैं, जैसे -जगदीश चंद्र बसु की पेड़-पौधों से थी, महादेवी वर्मा की गौरा से , आर.टी.आई. एक्टिविस्ट और दर्जनभर रिकार्ड्स के धारक मनु की शनि से । यह शनि ग्रहवाले नहीं हैं, अपितु एक बकरी-शावक है, जिनकी दोस्ती मनु से है ।
मेरी ज़िन्दगी में भी दोस्त तो काफी आए, लेकिन किताबों से लगी दोस्ती-से नेह 'दोस्त और दोस्ती' मुझे आज तक मिल नहीं पाया और शायद न मिलेगा भी ! 
आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, शिक्षिका सुश्री आकांशा डी. की दोस्तों को समर्पित कविता, आइये पढ़ते हैं और इस दिन का एन्जॉय करते हैं........

सुश्री आकांशा डी.

एक दिन जमीं पर

बस आसमां ही आसमां हो
उसमें ही चलना हो
उसमें ही उड़ना हो
उसे ही देखना हो
उसे ही छूना हो
उसे ही महसूस करना हो
जहाँ मेरे साथ
सिर्फ मेरे दोस्त हों
और मेरी ज़िंदगी
वहीं खत्म हो जाए..!

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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