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2.15.2018

'ज़िद्दी आदमी ही मुक़ाम पा सकता है'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     15 February     अतिथि कलम     No comments   

दुनिया बड़ी अज़ब और गजब होकर भी तरुणाई अवस्था में है । यहां जितनी जल्द किसी के नाम में कालिख व काली स्याही पोत कर उसे बदनाम कर दिया जाय, लेकिन उस नाम को सँवारने और सहेजने में उपयुक्त स्याही की कीमत बहुत कम लोग ही जान पाते हैं । मेरे दादाजी हमेशा कहा करते थे-- 'किसी व्यक्ति को जानना बड़ी बात नहीं हैं, लेकिन उनके बारे में लिखना बड़ी बात हैं ।' आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, श्रीमान इंतेख़ाब लोधी लिखित लेखक श्री उस्मान खान के जिंदगी की अनसुनी दास्ताँ... अनछुई गुफ़्तगू......


श्रीमान इंतेखाब लोधी
एक कलाकार की संवेदनाएं ही उसको मुकम्मल कलाकार या चित्रकार की पहचान देती हैं, दरअसल आड़ी-तिरछी लकीरों भर का नाम चित्र या शाहकार नहीं होता, उसमें संवेदनाओं के ज़रिये रूह फूंकी जाती है, तब वो शाहकार, वो चित्र कुछ अनुभूति दे पाता है और बन जाता है कुछ ऐसा कि सिर्फ उसको महसूस किया जाए या अपने इर्द-गिर्द ही कहीं तलाशा जाए । वो शाहकार फिर अनमोल हो जाता है क्योंकि संवेदनाओं को जिया जा सकता है, महसूस किया जा सकता है, लेकिन ख़रीदा नहीं जा सकता....!! एक आर्टिस्ट जब कल्पनाओं के रंगों को संवेदनाओं के ब्रश से समाज के कैनवास पर अपनी अनुभूति को आकार देता है,तो रेखाएं शिराओं का रूप धर लेती हैं और उनका केंद्र यानी चित्र का मूल विषय ह्रदय बनकर स्पंदन पैदा कर देता है और वही आर्टिस्ट जब इन्ही रंगों को शब्दों में ढालता है,तो संवेदनाओं का सैलाब सा उमड़ पड़ता है और बन जाती है कोई कालजयी कृति ! युवा कथाकार ‘उस्मान’ जो पेशे से आर्टिस्ट हैं, का जन्म 12 जुलाई 1986 को उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ ।
श्रीमान उस्मान खान
छात्र जीवन से ही सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक, गतिविधियों में सक्रीय रहे, देश-विदेश की पत्रिकाओं में दर्जनों कहानियां, लेख, कार्टून प्रकाशित हो चुके हैं ! उन्होंने Q-comics books preservation project (अमेरिका) में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं..! 2006 में श्रेष्ठ कहानी व् संकल्पना के लिए "24FPS" का सम्मान भी उन्हें मिल चुका है..! इन दिनों उस्मान मलेशिया में निवासरत हैं । इस विलक्षण कलाकार उस्मान ने अब अपनी सारी संवेदनाओं को समेटकर शब्दों का एक नया कोलाज बनाया है, जिसको नाम दिया है .."तुमसे किसने पूछा"। उस्मान का ये नया कहानी संग्रह है। उस्मान बेहद संवेदनशील आर्टिस्ट और युवा उभरते कथाकार हैं, उनका विषय-वस्तु का चयन ही बताता है कि इस कलाकार में संवेदनाएं कितनी गहरी हैं और समाज के प्रति उनका समर्पण व उत्तरदायित्व वो कितना गहरे उतरकर निभाने का प्रयास कर रहे हैं..! उस्मान साहित्य जगत में उस समय चर्चा में आये जब देश में लगातार घट रही एसिड अटैक की घटनाओं ने उनकी संवेदनाओं को झकझोर दिया..और उन्होंने 'H2SO4 एक प्रेम कहानी’ जैसा संवेदनाओं से भरपूर उपन्यास सामायिक विषय को समाज से उठाते हुए लिख डाला..!! उस्मान का ये उपन्यास बेहद मक़बूल हुआ। पाठकों ने इसको हाथोंहाथ लिया । यहाँ तक कि जवाहरलाल यूनिवर्सिटी दिल्ली के शोध छात्र श्रीमंत्र जैनेन्द्र ने इसको अपनी पीएचडी रिसर्च का हिस्सा बना लिया।उनके नए कहानी संग्रह "तुमसे किसने पूछा" में कुल 11 कहानियां हैं, उस्मान की इन कहानियों में विषय-वस्तु की दृष्टि से बहुत विविधता है, एक कहानी दूसरी कहानी के विषय को नहीं छूती, लेकिन विषय हमारे आस-पास के वातावरण से ही उठाए हुए है ! कहानी- कृष्णा,आमदनी, कुम्हेड़ा नामक कहानियों के ज़रिये वे समाज की क्रूर वास्तविकता को पाठकों के सामने गहरी संवेदनाओं के साथ दहलाने वाले अंदाज़ में प्रस्तुत करते हैं...! वहीं तुमसे किसने पूछा, समय लकड़हारा, फेकुआ हरामी, बड़े साहब जैसी कहानियां यथार्थ के साथ फैंटेसी लिए हुए आगे बढ़ती हैं । कुल मिलाकर यह कहानी संग्रह हर सुधि पाठक को अवश्य पढ़ना चाहिए बल्कि अपने संग्रह में भी स्थान देना चाहिए । पुस्तक अंजुमन प्रकाशन की इकाई ‘रेड ग्रेब'-इलाहाबाद से प्रकाशित है।


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।



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