MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

7.17.2017

"स्त्री हर रूप में सुंदर परी होती हैं"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     17 July     अतिथि कलम     2 comments   

समाज में परिवर्त्तन जारी है । सोच भी बदल रही है, लोग संयुक्त परिवार से एकल परिवार में आ रहे हैं, इस 'एकलता' पर  सिर्फ परेशानियां ही आ रही हैं , तब भी लोग 'बाल की खाल' निकालने की जुगत में 100 फीसदी रहती हैं । इन आदतों से वे उसी तरह से उलझे हुए हैं, जैसे यह 15 वीं शताब्दी हो ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में सुश्री केतकी जानी की उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जिसे समाज को समझने में काफी समय लग गए हैं, लेकिन इस लेख के माध्यम से यदि 0.00000000001 प्रतिशत भी व्यक्ति जागरूक हो जाय, तो यह उन्हें ताउम्र याद रहेंगे...... आइये, हम-आप इसे पढ़ते हैं, बालविहीन मानव को भी उसी तरह स्वीकारते हैं, जैसे अन्य को सहेजते हैं-------- 




केशहीनता ( Aelopecia )  : समझ , स्वीकृति और सौजन्य     


टाइटल पढ़ते ही शायद आप के मन में एक अच्छा न लगने जैसी फीलिंग्स आ गई होगी, ना ? बिना बाल की औरतें हमारी आँखों को नहीं चलती और आज हम पढ़ते  / लिखते / बोलते है कि सौंदर्य सिर्फ अच्छा दिखने से नहीं होता, बल्कि आंतरिक होता है।  कितना बड़ा झूठ है, जो यूँ ही वर्षों से चलते आ रहे हैं । हम ऐसे समाज में हैं, जहाँ २१ साल की लड़की तितली की तरह उड़ने जैसी उम्र में सिर पर बाल न होने की वज़ह से आत्महत्या करती है ! ऐसे समाज की इससे बड़ी बदकिस्मती / नाकामी / असफ़लता क्या होगी ? क्यों हर औरतें और पुरुषों के सिर पर  बाल होना कंपलसरी है, समाज इसकी परिभाषा शायद 'हाँ' में ही देगी  ?? क्यों हमारे पुराण या शास्त्र में बिना हेयर वाली औरत या पुरुष का एक भी पात्र नहीं है ? 

बाल ना होने से औरतें बदसूरत लगती है ! ऐसा नियम किसने बनाया है ? जवाब शायद --पता नहीं -- के रूप में आयें ! एक टैबू ( निषेध ) है बिना बाल की औरतें ऐसा क्यों  हैं ? 

बाल न होने से हम बदल तो नहीं जाते , इंसान ही रहते हैं, क्योंकि दिल का धड़कना , किडनी के काम करने का स्टाइल , खाना-पीना , बच्चे पैदा करने की क्षमता सभी आम औरत - आदमी जैसे  ! हम हूबहू आप जैसे हैं, फिर भी हम अनवांटेड क्यों ?? 

सदियों से मुझ जैसे पुरुष -औरतें विग, स्कार्फ़. Cap या चहारदीवारों की गिरफ्त में क्यों ?

मुझे जब ऐलोपेसिआ हुआ , तब मैंने महसूस किया की पल-पल का मरना किसे कहते हैं  !मुझे लगता था जैसे अब सब कुछ ख़तम हो गई है । मुझे देखनेवाली जितनी आँखे उतनी सवाल....!  जितने भी चेहरे उतनी बातें । हर दिन मुझे इंतज़ार रहता था कि कब रात हो और कब मुझे और कोई ना देखें। बाथरूम में सर पर पानी ड़ालते वक़्त मेरी रूह काँप जाती थी क्यों कि पूरा बाथरूम बालों से भर जाता था और फिर आँखों से अश्रुधार अविरल बहना,बहुत औरतों का कहना कि मेरे 'वो' तो मुझे ऐसा होने पर नही रखेंगे घर पर ? मै भी उफ्फ्फ कैसे भूल सकती हूँ , वो यातना !

आओ इसके बारे मै जानकारी देती हूँ -- 

€ ये हेयर रिलेटेड प्रोब्लेम है जिसमे शरीर हेयर ग्रो करने से मना करता है , इन शोर्ट ये शरीर की हेयर बनाने के काम से घोषित की हुई हड़ताल है--- yesss, ये ऑटोइम्म्युन डीसीस (autoimmune disorder ) है...... ( डायबिटीज , थाइरोइड ) की तरह ।

€ ये प्रॉब्लम 2 टाइप में होते है -

 1). Rarest Rare लोगों के फैमिली के सब सदस्यों को ये genetically  कारण की वज़ह से आनुवंशिक होता है। { 7 साल में मैंने सिर्फ़ दो ( 2 ) ही फॅमिली ऐसे देखे है...!}मतलब ये करोड़ो में एकाध फैमिली होगी शायद !

2).  दूसरा टाइप ये रैंडम किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है --

- इसके 6 प्रकार हैं, उसमें ३ मुख्य हैं !

१ -) Alopecia Areata (AA) , इसमें सर के बाल के बीच बाल्ड पैचेज होते है ।

२ -)  Alopecia Totalis (AT), इसमें पूरे सिर पर बिना बाल होता है ।
३ -) ऐलोपेसिआ युनिवर्सलिस Alopecia Universalis (AU), इसमें पूरे शरीर में कहीं भी बाल नहीं होते है:-

- ये जन्म से लेकर मौत तक (मतलब) उम्र के कोई भी पड़ाव में होता है !
- इसकी शुरुआत सर के कोई भी हिस्से में राउंड पैच से होती है । मैं बालों में हाथ फिरा रही थी, तब राउंड फिंगर टिप्स पर बाल की जगह प्रॉपर स्किन का अहसास हुआ था । )
- ये क्यों होता है वो आज तक विश्व में कोई जान नहीं पाया है !
- आज तक इसके लिए कोई भी औषध मुकर्रर नहीं हो पाया है । इसके लिए मुझे जो औषध से बाल आये' उसी के एप्लीकेशन से किसी और को भी हेयर आ जायेंगे, वैसा तय नहीं है ! ( डायबिटीज व थाइरोइड के सब दर्दी एक दवाई यूज़ कर सकते है , इसके नहीं )
- ये होने से आप की डे to डे लाइफ में कोई तक़लीफ़ नहीं होती है आप बिंदास जिंदगी जी सकते हो औरो की तरह !
- लड़की को अगर जन्म से या बचपन से ये हुआ है तो उसकी शादीसुदा जिंदगी नॉर्मल लड़कियों जैसे ही बिता सकती है , बच्चे भी स्वस्थ व नॉर्मल होते है वो मैंने खुद देखा है ! बिलकुल ऐसा ही viceversa लड़कों पर लागू पड़ता है !
- ये contiguous या छूने से किसी को लग जाए वैसा डिसऑर्डर नहीं है !
- इसकी वज़ह से शादीशुदा जिंदगी लेशमात्र डिस्टर्ब नहीं होती !
- इसे एक्सेप्ट / स्वीकार करना वो इसके साथ जीने का सब से अच्छा आइडिया है। 
- हेयर लॉस/ Aelopecia कैंसर की ट्रीटमेंट में कीमोथेरेपी की वज़ह से भी होता है, पर वो वापस आते हैं, वह बहुधा कम होता है !
- लास्ट बट इम्पोर्टेन्ट बात ..... इसमें बाल उम्र के किसी भी पड़ाव में वापस भी आ सकते हैं  और ऐसा कई लोगो के साथ हुआ है  कि उन्होंने आशा छोड़ दी हो और बाल फिर से आये हो, वो भी बिना कोई दवाई के !!

हमारी आदत है कि जब तक हम पर ना गुज़रे हम किसी की वेदना समझ ही नहीं पाते, बिलकुल मेरी तरह ! मुझ पर न गुजरी तब तक मैंने ऐलोपेसिअन्स के बारे में कभी नहीं सोचा, लेकिन मै चाहती हूँ की आप वो गलती न करें ! अभी से जागे और आसपास देखें , कहीं ऐलोपेसिअन तो नहीं है ना ?? है तो उसे हिम्मत दे बिना विग , स्कार्फ़ या केप बिना बाहर निकलने की ! वो घर से बाहर न निकलती हो कभी ,तो उसे दिखाओ खुला आसमान, सच बहुत सुकून मिलेगा ये कर के ! वो चाहे मुंह से न बोले पर याद रखना उसे आप के सपोर्ट की हमेशा आवश्यकता थी कभी,  है अभी और सतत रहेगी !


नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

2 comments:

  1. UnknownJuly 17, 2017

    Ketaki Jani is doing really praiseworthy service. We all Must support her cause. May her tribe increase.

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  2. UnknownMay 25, 2018

    Great n much needed work ketaki. Congratulations .
    * Praful Shah

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART