'अशोक' नाम किसी भी दृष्टि से सामान्य नाम नहीं है । प्राचीन भारत में मगध साम्राज्य और मौर्य साम्राज्य के सबसे महान सम्राट, बौद्ध भिक्षु नृपेंद्र तथा आधुनिक भारत में भी 'अशोक स्तंभ' के रूप में चिरनीत 'अशोक' की क्या परिभाषा दूँ ? प्रतिमाह एक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' प्रकाशित और प्रसारित करने के प्रति कटिबद्ध 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' ने इस माह के इंटरव्यू व साक्षात्कार के लिए बिहार के प्रसिद्ध चित्रकार श्री अशोक कुमार को चुना है । हालाँकि ऐसा लिखना हमारी गुस्ताख़ी होगी । ... तो हो 'गुस्ताख़ी माफ़', क्योंकि श्री अशोक कुमार जी को चुनने व चयन का साहस 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' नहीं दिखा सकता है । यह तो संपादक मंडल का आग्रह रहा है । तो आइए, भूमिका को यहीं सीमित करते हुए ऊर्जा से ओत-प्रोत इस चित्रकार को महान कह ही डाले और उनके 14 गझिन जवाबों से रू-ब-रू हो ही जाइये---
प्र.(1.) आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
मैं चाक्षुष कला क्षेत्र में कार्यरत हूँ, जिसमें कई अन्य विधाएं हैं, जैसे:- चित्रकला, मूर्तिकला, तथा छापाकला प्रमुख हैं ! मैं मूलरूप से चित्रकला के क्षेत्र में काम करता हूँ, जो मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम है ! अभिव्यक्ति उन तत्वों तथा विषयों के, जिसकी हम कल्पना करते हैं, जो सम्पूर्ण रूप में काल्पनिक भी हो सकता है अथवा अपने आस-पास या वास्तविक जीवन से प्रभावित कोई अन्य विषय भी ! चित्रकला जिसमें विषयों, रंगों, आकृतियों तथा संयोजन का खास महत्व होता है !
प्र.(2.) आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:- बिहार के छोटे से गांव के एक सुसंस्कृत तथा पारंपरिक-कला-परिवेश में मेरा जन्म हुआ ! कला से ओत-प्रोत पारिवारिक वातावरण में पला बढ़ा हूँ, जहाँ मैं अपने पिता की रचनाओं से प्रेरित हुआ करता था ! अपनी कलात्मक-प्रतिभा तथा कल्पनाशीलता को नई रचनाओं के साथ विकसित करने का अवसर भी प्राप्त हुआ है, जहाँ से प्रेरित होकर मैं पटना विश्वविद्यालय के 'कला महाविद्यालय' से ललित कला (पेंटिंग) से स्नातक किया हूँ । उत्कृष्ट कलात्मक वातावरण में अपने अध्ययन का समापन करने के तुरंत बाद ही मुझे फ्रांस सरकार की छात्रवृति के अंतर्गत फ्रांस में उच्च अध्ययन तथा विश्वस्तरीय शोध का अवसर मिला । इस तरह से मेरी उपलब्धियों के साथ-साथ नयी पृष्ठभूमि का भी निर्माण हुआ तथा अपने-आप को नए आयाम के साथ जोड़ता चला गया ! ऐसी पृष्ठभूमि मेरी सभी उपलब्धियों के लिए प्रेरक तथा मार्गदर्शन का काम करते हैं !नयी उपलब्धियों को प्राप्त करने में अपने परिजनों तथा दोस्तों के साथ उक्त वातावरण और पृष्ठभूमि का भी बड़ा योगदान है, जिसकी हम रचना करते हैं तथा जिनसे मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है !
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
हमारे जीवन में कला का बहुत बड़ा योगदान रहा है, चाहे वह कला किसी भी रूप या विधा में हो, कला के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है !आमलोगों को कला के द्वारा जीवन के नए आयाम तथा परिकल्पनाओं तथा जटिलताओं को समझने में मदद मिलती है ! सुन्दर कलाकृतियों तथा रचनाओं के द्वारा जीवन को और सौन्दर्यपूर्ण बना सकते हैं । वहीं अपने इस माध्यम से अपनी कल्पनाओं और सपनों को अभिव्यक्त भी कर सकते हैं !
प्र.(4.) आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
यह सच है कि कोई भी उपलब्धि या कार्य की सफलता बिना किसी परेशानी या बाधाओं के प्राप्त नहीं होती है ! विपरीत परिस्थितियों को स्वीकार कर उसे कार्य के अनुकूल बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है और शायद यह स्थिति हमेशा बनी रहती है,जिसे एक या दो उद्वरण से स्पष्ट नही की जा सकती बल्कि इसे सूक्ष्मता से समझने की आवश्यकता है ! पहली,अपनी सोच तथा मान्यताओं से ही बाधाएं उत्पन्न होती हैं और दूसरी, आत्मविश्वास की कमी ! अगर इन दोनों का तालमेल सही है, तो उपलब्धियां प्राप्त होती हैं ! ये मेरा व्यकिगत अनुभव है जिसे मैं साझा कर रहा हूँ, जबकि किसी संस्थाओं की परिस्थितियां अलग हो सकती है !
प्र.(5.) अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:- अपने कार्यों को सम्पन्न करने के लिए आर्थिक सहायता की कमी सदैव रहती है, ऐसा नही कि मुझे दिक्कतों का सामना नही करना पड़ता है ! जहाँ तक आर्थिक दिग्भ्रमित होने की बात है वो बिलकुल नहीं है, क्योकि वास्तविकता से परिचित हूँ ! व्यावहारिक तौर पर सीमित फंड से भी किसी महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है, इसका अनुभव मुझे है ! कार्य को सफल बनाने में दोस्तों तथा अपनों का साथ मिला है !
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
चूँकि पहले से ही पारिवारिक वातावरण कलात्मक था । अतः मैंने बचपन से ही स्वयं को पिता की रचनाओं के बीच पाया तथा स्वभावतः कलात्मक मनोवृति और कल्पनाशीलता से प्रेरित होकर ही इस क्षेत्र का चयन किया तथा कॉलेज ऑफ़ आर्ट (पटना यूनिवर्सिटी) में नामांकन लिया, जिसके लिए दोस्तों और परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग मिला तथा इस बात से उन्हें गर्व भी था ! हालाँकि अपने पारिवारिक परंपरा तथा वातावरण से अलग समकालीन कला के क्षेत्र में आने तक का सफर चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसमें आत्मविश्वास एवं व्यक्तिगत संयम के साथ समझौते का महत्वपूर्ण योगदान है !
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मैंने पारिवारिक सीमाओं तथा वातावरण से हटकर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं ।अतः परिवार से अलग कई सारे लोगों ने मुझे सराहा है और सक्षम होने में मदद की है जिसके लिए मैं आजीवन साभार प्रकट करता हूँ ! मेरे विस्तृत बायोग्राफी में अंतरराष्ट्रीय दोस्तों द्वारा मान्यता का भी महत्वपूर्ण योगदान है ! परिवार के सदस्यों का यथोचित सहयोग सदैव रहा है तथा इस बात से वे हमेशा खुश हैं !
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:- हम जीवन में जो भी रचनात्मक कार्य करते हैं या उपलब्धियों को प्राप्त करते हैं । पहले तो वो अपने संस्कृति से प्रभावित होती है, फिर उसका प्रभाव अपने कला एवं संस्कृति पर पड़ता है ! अच्छे कार्यों से चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो, अपनी संस्कृति को उत्कृष्टता प्राप्त होती है । कला एवं संस्कृति के समर्पण से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा सौन्दर्यबोध की उत्पति भी ! अपनी संस्कृति में होने वाली सभी रचनात्मक तथा सकारात्मक कार्यों का सम्मान करना चाहिए !
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
व्यक्ति अगर अपने कार्य के प्रति अनुशासित तथा ईमानदार हो तो भ्रष्टाचार जैसी बीमारियों से स्वतः बचा जा सकता है तथा एक स्वच्छ वातावरण की कल्पना ही नहीं, बल्कि उनकी रचना भी कर सकते हैं ! मैं समझता हूँ कि कला का काम और दायित्व अपने समाज में सौन्दर्य स्थापित करना है, इसलिए कला के क्षेत्र में जितनी भी रचनात्मक कार्य किये जाए, वह प्रशंसनीय है तथा प्रोत्साहन एवं सम्मान के पात्र हैं !
प्र.(10.) इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
आपकी दृष्टि में आर्थिक मुरब्बा किसे कहते हैं, मुझे इस बात की जानकारी नहीं है । अगर आर्थिक सहायता को लेकर है तो मुझे अभी तक किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिल पायी है, जिससे अपनी रचना को व्यापक रूप दे सकूँ !
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
मेरी एकाग्रता मेरी रचनाओं में ज्यादा रहती है ! संभव है, कई संस्थाओं में विसंगतियां या अनियमितता हो सकती है ! अभी तक मैं किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं से किसी रूप में न तो जुड़ा हूँ और न ही किसी पद को प्राप्त किया ही हूँ, जिससे मैं उक्त विसंगतियों के बारे में सूक्ष्मता से जान पाऊँ । इसलिए इसकी कोई विशेष जानकारी मुझे नहीं है ! अपने कार्य क्षेत्र को मैं अनुशासित ढंग से तथा आवश्यकतानुसार इनके नियमों का पालन करते हुए सम्पन्न करता हूँ, जिससे मुझे कभी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई है !
प्र.(12.) कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
साधारणतः, कला क्षेत्र में किसी भी कला प्रदर्शनियों के अवसर पर कैटलॉग प्रकाशित होते हैं, जिसमें आयोजन से जुड़ी सभी जानकारियां होती हैं तथा इसके साथ पोस्टर्स और बैनर प्रकाशित होते हैं ! अभी तक जिन महत्वपूर्ण प्रदर्शनियों तथा आयोजनों में मेरी भागीदारी हुई है, चाहे वो राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय हो-- सभी के कैटलॉग,आमंत्रण पत्र तथा पोस्टर्स प्रकाशित हुए हैं । कुछ एक में 'ब्रीफ बायोग्राफी' संलग्न किया गया है ।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
मेरे लिए निरंतर कार्यशील तथा रचनाशील रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है !अपनी कला यात्रा में मैंने अभी तक कई स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक प्राप्त किये हैं । इसके अलावा कई विश्वस्तरीय प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया है, जो किसी भी अन्य पुरस्कार से कमतर नही !
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- मैं नई दिल्ली में बतौर 'फ्रीलान्स विजुअल आर्टिस्ट' कार्यरत हूँ तथा अपनी रचनाओं को विस्तृत रूप देने के प्रति कटिबद्ध हूँ ! मुझे विश्वास है,अपने प्रशंसकों तथा दर्शकों का सहयोग मिलता रहेगा, जिससे अपनी कला को वृहद् तथा व्यापक रूप में प्रस्तुत कर पाऊँ । मैं आभार व्यक्त करता हूँ, उन सभी दोस्तों और परिजनों का, जिन्होंने हमेशा मुझे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की है एवं कार्य सम्पन्न करने में तत्परता के साथ सहयोग किया है ! समाज के सौन्दर्यात्मक-विकास में कला की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अतः, हमें उनके विकास के लिए पूरे सम्मान के साथ तत्पर रहना चाहिए ! अपनी तथा विश्व की कला तथा संस्कृति का आदर करना चाहिए एवं कला-पारखी बन इनकी अक्षुण्णता बरकरार रखनी चाहिए ।
प्र.(1.) आपके कार्यों को इंटरनेट के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को सुस्पष्ट कीजिये ?
उ:-
मैं चाक्षुष कला क्षेत्र में कार्यरत हूँ, जिसमें कई अन्य विधाएं हैं, जैसे:- चित्रकला, मूर्तिकला, तथा छापाकला प्रमुख हैं ! मैं मूलरूप से चित्रकला के क्षेत्र में काम करता हूँ, जो मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम है ! अभिव्यक्ति उन तत्वों तथा विषयों के, जिसकी हम कल्पना करते हैं, जो सम्पूर्ण रूप में काल्पनिक भी हो सकता है अथवा अपने आस-पास या वास्तविक जीवन से प्रभावित कोई अन्य विषय भी ! चित्रकला जिसमें विषयों, रंगों, आकृतियों तथा संयोजन का खास महत्व होता है !
प्र.(2.) आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उ:- बिहार के छोटे से गांव के एक सुसंस्कृत तथा पारंपरिक-कला-परिवेश में मेरा जन्म हुआ ! कला से ओत-प्रोत पारिवारिक वातावरण में पला बढ़ा हूँ, जहाँ मैं अपने पिता की रचनाओं से प्रेरित हुआ करता था ! अपनी कलात्मक-प्रतिभा तथा कल्पनाशीलता को नई रचनाओं के साथ विकसित करने का अवसर भी प्राप्त हुआ है, जहाँ से प्रेरित होकर मैं पटना विश्वविद्यालय के 'कला महाविद्यालय' से ललित कला (पेंटिंग) से स्नातक किया हूँ । उत्कृष्ट कलात्मक वातावरण में अपने अध्ययन का समापन करने के तुरंत बाद ही मुझे फ्रांस सरकार की छात्रवृति के अंतर्गत फ्रांस में उच्च अध्ययन तथा विश्वस्तरीय शोध का अवसर मिला । इस तरह से मेरी उपलब्धियों के साथ-साथ नयी पृष्ठभूमि का भी निर्माण हुआ तथा अपने-आप को नए आयाम के साथ जोड़ता चला गया ! ऐसी पृष्ठभूमि मेरी सभी उपलब्धियों के लिए प्रेरक तथा मार्गदर्शन का काम करते हैं !नयी उपलब्धियों को प्राप्त करने में अपने परिजनों तथा दोस्तों के साथ उक्त वातावरण और पृष्ठभूमि का भी बड़ा योगदान है, जिसकी हम रचना करते हैं तथा जिनसे मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है !
प्र.(3.) आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा लाभान्वित हो सकते हैं ?
उ:-
हमारे जीवन में कला का बहुत बड़ा योगदान रहा है, चाहे वह कला किसी भी रूप या विधा में हो, कला के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है !आमलोगों को कला के द्वारा जीवन के नए आयाम तथा परिकल्पनाओं तथा जटिलताओं को समझने में मदद मिलती है ! सुन्दर कलाकृतियों तथा रचनाओं के द्वारा जीवन को और सौन्दर्यपूर्ण बना सकते हैं । वहीं अपने इस माध्यम से अपनी कल्पनाओं और सपनों को अभिव्यक्त भी कर सकते हैं !
प्र.(4.) आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?
उ:-
यह सच है कि कोई भी उपलब्धि या कार्य की सफलता बिना किसी परेशानी या बाधाओं के प्राप्त नहीं होती है ! विपरीत परिस्थितियों को स्वीकार कर उसे कार्य के अनुकूल बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है और शायद यह स्थिति हमेशा बनी रहती है,जिसे एक या दो उद्वरण से स्पष्ट नही की जा सकती बल्कि इसे सूक्ष्मता से समझने की आवश्यकता है ! पहली,अपनी सोच तथा मान्यताओं से ही बाधाएं उत्पन्न होती हैं और दूसरी, आत्मविश्वास की कमी ! अगर इन दोनों का तालमेल सही है, तो उपलब्धियां प्राप्त होती हैं ! ये मेरा व्यकिगत अनुभव है जिसे मैं साझा कर रहा हूँ, जबकि किसी संस्थाओं की परिस्थितियां अलग हो सकती है !
प्र.(5.) अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?
उ:- अपने कार्यों को सम्पन्न करने के लिए आर्थिक सहायता की कमी सदैव रहती है, ऐसा नही कि मुझे दिक्कतों का सामना नही करना पड़ता है ! जहाँ तक आर्थिक दिग्भ्रमित होने की बात है वो बिलकुल नहीं है, क्योकि वास्तविकता से परिचित हूँ ! व्यावहारिक तौर पर सीमित फंड से भी किसी महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है, इसका अनुभव मुझे है ! कार्य को सफल बनाने में दोस्तों तथा अपनों का साथ मिला है !
प्र.(6.) आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !
उ:-
चूँकि पहले से ही पारिवारिक वातावरण कलात्मक था । अतः मैंने बचपन से ही स्वयं को पिता की रचनाओं के बीच पाया तथा स्वभावतः कलात्मक मनोवृति और कल्पनाशीलता से प्रेरित होकर ही इस क्षेत्र का चयन किया तथा कॉलेज ऑफ़ आर्ट (पटना यूनिवर्सिटी) में नामांकन लिया, जिसके लिए दोस्तों और परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग मिला तथा इस बात से उन्हें गर्व भी था ! हालाँकि अपने पारिवारिक परंपरा तथा वातावरण से अलग समकालीन कला के क्षेत्र में आने तक का सफर चुनौतीपूर्ण रहा है, जिसमें आत्मविश्वास एवं व्यक्तिगत संयम के साथ समझौते का महत्वपूर्ण योगदान है !
प्र.(7.) आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !
उ:-
मैंने पारिवारिक सीमाओं तथा वातावरण से हटकर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं ।अतः परिवार से अलग कई सारे लोगों ने मुझे सराहा है और सक्षम होने में मदद की है जिसके लिए मैं आजीवन साभार प्रकट करता हूँ ! मेरे विस्तृत बायोग्राफी में अंतरराष्ट्रीय दोस्तों द्वारा मान्यता का भी महत्वपूर्ण योगदान है ! परिवार के सदस्यों का यथोचित सहयोग सदैव रहा है तथा इस बात से वे हमेशा खुश हैं !
प्र.(8.) आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?
उ:- हम जीवन में जो भी रचनात्मक कार्य करते हैं या उपलब्धियों को प्राप्त करते हैं । पहले तो वो अपने संस्कृति से प्रभावित होती है, फिर उसका प्रभाव अपने कला एवं संस्कृति पर पड़ता है ! अच्छे कार्यों से चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो, अपनी संस्कृति को उत्कृष्टता प्राप्त होती है । कला एवं संस्कृति के समर्पण से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा सौन्दर्यबोध की उत्पति भी ! अपनी संस्कृति में होने वाली सभी रचनात्मक तथा सकारात्मक कार्यों का सम्मान करना चाहिए !
प्र.(9.) भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !
उ:-
व्यक्ति अगर अपने कार्य के प्रति अनुशासित तथा ईमानदार हो तो भ्रष्टाचार जैसी बीमारियों से स्वतः बचा जा सकता है तथा एक स्वच्छ वातावरण की कल्पना ही नहीं, बल्कि उनकी रचना भी कर सकते हैं ! मैं समझता हूँ कि कला का काम और दायित्व अपने समाज में सौन्दर्य स्थापित करना है, इसलिए कला के क्षेत्र में जितनी भी रचनात्मक कार्य किये जाए, वह प्रशंसनीय है तथा प्रोत्साहन एवं सम्मान के पात्र हैं !
प्र.(10.) इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।
उ:-
आपकी दृष्टि में आर्थिक मुरब्बा किसे कहते हैं, मुझे इस बात की जानकारी नहीं है । अगर आर्थिक सहायता को लेकर है तो मुझे अभी तक किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिल पायी है, जिससे अपनी रचना को व्यापक रूप दे सकूँ !
प्र.(11.) आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?
उ:-
मेरी एकाग्रता मेरी रचनाओं में ज्यादा रहती है ! संभव है, कई संस्थाओं में विसंगतियां या अनियमितता हो सकती है ! अभी तक मैं किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं से किसी रूप में न तो जुड़ा हूँ और न ही किसी पद को प्राप्त किया ही हूँ, जिससे मैं उक्त विसंगतियों के बारे में सूक्ष्मता से जान पाऊँ । इसलिए इसकी कोई विशेष जानकारी मुझे नहीं है ! अपने कार्य क्षेत्र को मैं अनुशासित ढंग से तथा आवश्यकतानुसार इनके नियमों का पालन करते हुए सम्पन्न करता हूँ, जिससे मुझे कभी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई है !
प्र.(12.) कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?
उ:-
साधारणतः, कला क्षेत्र में किसी भी कला प्रदर्शनियों के अवसर पर कैटलॉग प्रकाशित होते हैं, जिसमें आयोजन से जुड़ी सभी जानकारियां होती हैं तथा इसके साथ पोस्टर्स और बैनर प्रकाशित होते हैं ! अभी तक जिन महत्वपूर्ण प्रदर्शनियों तथा आयोजनों में मेरी भागीदारी हुई है, चाहे वो राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय हो-- सभी के कैटलॉग,आमंत्रण पत्र तथा पोस्टर्स प्रकाशित हुए हैं । कुछ एक में 'ब्रीफ बायोग्राफी' संलग्न किया गया है ।
प्र.(13.) इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?
उ:-
मेरे लिए निरंतर कार्यशील तथा रचनाशील रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है !अपनी कला यात्रा में मैंने अभी तक कई स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक प्राप्त किये हैं । इसके अलावा कई विश्वस्तरीय प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया है, जो किसी भी अन्य पुरस्कार से कमतर नही !
प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
उ:- मैं नई दिल्ली में बतौर 'फ्रीलान्स विजुअल आर्टिस्ट' कार्यरत हूँ तथा अपनी रचनाओं को विस्तृत रूप देने के प्रति कटिबद्ध हूँ ! मुझे विश्वास है,अपने प्रशंसकों तथा दर्शकों का सहयोग मिलता रहेगा, जिससे अपनी कला को वृहद् तथा व्यापक रूप में प्रस्तुत कर पाऊँ । मैं आभार व्यक्त करता हूँ, उन सभी दोस्तों और परिजनों का, जिन्होंने हमेशा मुझे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की है एवं कार्य सम्पन्न करने में तत्परता के साथ सहयोग किया है ! समाज के सौन्दर्यात्मक-विकास में कला की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अतः, हमें उनके विकास के लिए पूरे सम्मान के साथ तत्पर रहना चाहिए ! अपनी तथा विश्व की कला तथा संस्कृति का आदर करना चाहिए एवं कला-पारखी बन इनकी अक्षुण्णता बरकरार रखनी चाहिए ।
आप इसी तरह सदा प्रसन्नचित्त और यूँ ही शहंशाही ज़िन्दगानी लिए 'चित्रकारी' करते रहे । आपकी यह चित्र-यात्रा गाँव के खेत-खलिहानों से होते हुए महाविद्यालय, फिर देश-विदेश' में इसतरह से फैले कि इनकी चकाचौंध चहुँओर ताजमहल-सदृश् फैले । आपको अशेष शुभकामनाए ----- मैसेंजर ऑफ ऑर्ट
नमस्कार दोस्तों !
मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
महत्वपूर्ण साक्षात्कार व जानकारियाँ, धन्यवाद
ReplyDeleteशुक्रिया ।
DeleteGreat 👌👌👌
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