मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट के प्रस्तुतांक में श्रीमान सागर श्री गुप्ता की कुछ नज्में, जो प्रेम, जीवन, इलज़ाम, कठिनाइयाँ, ऊप्स, रिश्ते का मानसून इत्यादि के बारे में है । ऐसे तत्त्व सभी के ज़िंदगी में ज़रूर आते हैं, तो आइये, इसे हम पढ़ते हैं:--
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
एक पुड़िया होगी बेपरवाही की,
बेफ़िक्री का ज़रा चूरन होगा,
तसल्ली का कतरा टपका कर,
तुम्हारा अकेला एक हुजूम होगा !
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
कापूस सी तुम्हारी गोद होगी,
अलसाया सा मेरा सर होगा,
एक नज़र होगी मुझपे अपनो सी,
वो नज़र ही मेरा घर होगा !
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵
बंद करते है ना ये खेल अब,
कितने थक चुके हैं दोनों देखों !
कभी तुम कटघरे में आती हो,कोई इलज़ाम ढोते,
कभी मुझपे कोई इलज़ाम चढ़ जाता है बेवजह !
हासिल कुछ नहीं आता,
कोई जुर्म साबित नहीं होता !
बस एक रिश्ता की फ़ज़ीहत होती है,
टूटता रहा है मैं, टुकड़ा-टुकड़ा !
रिश्ते अपनी मौत कभी नहीं मरते,
रिश्तों का तो क़त्ल होता है !
🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌎
एक टुकड़ा बादल उछाल है तुम्हारे जानिब,
कूद कर तुम उस बादल को लपक लेना,
मरोड़ना उसे और उसे निचोड़ना,
उसकी हर नमी से भिगो देना !
बहुत सुखा देख चूका हूँ.
मौसम को इस मानसून ने तर किया है
और ज़िन्दगी को,
तुमने, मुझपर
अपनी बारिश यूँ ही करते रहना !
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
एक पुड़िया होगी बेपरवाही की,
बेफ़िक्री का ज़रा चूरन होगा,
तसल्ली का कतरा टपका कर,
तुम्हारा अकेला एक हुजूम होगा !
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
कापूस सी तुम्हारी गोद होगी,
अलसाया सा मेरा सर होगा,
एक नज़र होगी मुझपे अपनो सी,
वो नज़र ही मेरा घर होगा !
कुछ नींद उधार दे दो ना,
तुम होगी और सुकून होगा !
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵
बंद करते है ना ये खेल अब,
कितने थक चुके हैं दोनों देखों !
कभी तुम कटघरे में आती हो,कोई इलज़ाम ढोते,
कभी मुझपे कोई इलज़ाम चढ़ जाता है बेवजह !
हासिल कुछ नहीं आता,
कोई जुर्म साबित नहीं होता !
बस एक रिश्ता की फ़ज़ीहत होती है,
टूटता रहा है मैं, टुकड़ा-टुकड़ा !
रिश्ते अपनी मौत कभी नहीं मरते,
रिश्तों का तो क़त्ल होता है !
🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌏🌎
एक टुकड़ा बादल उछाल है तुम्हारे जानिब,
कूद कर तुम उस बादल को लपक लेना,
मरोड़ना उसे और उसे निचोड़ना,
उसकी हर नमी से भिगो देना !
बहुत सुखा देख चूका हूँ.
मौसम को इस मानसून ने तर किया है
और ज़िन्दगी को,
तुमने, मुझपर
अपनी बारिश यूँ ही करते रहना !
0 comments:
Post a Comment