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3.10.2017

"भारत के अंतिम यादव मुख्यमंत्री को अहंकार ने लील लिया"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     10 March     फेसबुक डायरी     No comments   

        "भारत के अंतिम यादव मुख्यमंत्री को अहंकार ने लील लिया"




गांव की चौपाल पर बैठा था, पिछली शाम ! राजनीति पर चर्चा-परिचर्चा शुरू हो गई थी ! कुछ समय पहले एक पोस्ट किया था.... गांव में वह कहावत सभी के जुबानों पर है, साथ ही उनलोगों पर भी जिनपर यह कहावत बना है !  कहावत 'सही' निकली और कमेंट के बाद जातिवादी-कीड़े भी सामने आ गए, जो अपने को जाति से परे समझते थे, फिर उनके द्वारा उनकी जाति पर कहावतें आने पर वे सारे दोस्त अपनी जाति को श्रेष्ठ बताने लगे और  'जातिवादी' का ठप्पा लेकर जातिवादी-नशें में अंध होकर अपने जाति-नायकों की बड़ाई में श्रीकृष्ण को भी जाति में बाँध दिए ! कोई कुछ भी कह सकता है । मैंने आजतक जितने भी पोस्ट किये, उनमें ये जातिवादी नहीं आये, लेकिन मेरे इस पोस्ट पर अपनी जाति का गुणगान करते पाये गये !! बधाई हो, कीड़ों !  कभी वहां भी ऐसे ही कीड़े को फैलाते थे, अब यहाँ भी अपनी जातियै-कीड़े का गुणगान करते हो !! मैं वहाँ भी इसके खिलाफ था ! यहाँ भी !! लोगों को  मतलब समझने में समय लगता है । लोगों को 'ब्रा-पैंटी' और 'कच्छी-बनियान' तो समझ में आ जाते हैं, लेकिन उसके आगे वाला शब्द नहीं ! कुछ कमेंट की शिकायत गृह मंत्रालय को ईमेल से भेज दिया है ! जन्म से सभी शूद्र हैं और जब हम जाति-पाँति नहीं मानते हैं, तो फिर जातिगत-मुहावरे में बिचकते क्यों हैं ? रही सही कसर इसतरह पूरी होगी, आश्चर्यमिश्रित है कि भारत के अंतिम यादव मुख्यमंत्री (अखिलेश यादव) को अहंकार ने लील लिया । अखिलेश तो खैर विदेश में पढ़ा है, पर जिनके माँ-बाप दोनों मुख्यमंत्री रहे हों, वे (तेजस्वी यादव) अगर मात्र नौंवी पढ़े हो, तो यही कहावत ही बनेगा न, कि पढ़-लिख कर आई.ए.एस. बनकर क्या करूँ, जब ऐसों के ही चाटुकारिता बनने पड़े ?

 T.Manu --
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