MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

3.17.2017

"जीवन क्या है ! शंखपुष्पी दवाई या नींद की एक्सपायरी गोलियाँ ?"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     17 March     अतिथि कलम     1 comment   

जीवन न तो शंखपुष्पी दवाई है, न ही नींद की एक्सपायरी गोलियाँ ! तभी तो जीवन में सफलता और असफलता कब हाथ लग जाये, किसी को मालूम ही नहीं चलता ! लेकिन असफलता ही सफल होने का सूत्र ही नहीं, कायम चूर्ण भी है, क्योंकि कोई अगर समय की महत्ता समझ ले, तो पुरुषार्थ को भी हर कोई मनोनुकूल हो, बदल सकते हैं ! वैसे गाँव में एक कहावत है, जो पुरुषों के लिए कहा जाता है- 'नौकरी और छोकरी (पत्नी) मनोनुकूल नहीं मिलती !' परंतु परिश्रम के बूते आदमी ही तो है, जो पत्थर को पानी में तब्दील कर सकता है । आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट के प्रस्तुतांक में  श्रीमान अनुराग कुमार की कविता , जो जीवन की नई परिभाषा गढ़ते हैं, मन को हताशा से बचाते हैं । आइये, हम इस काव्य-प्रसंगों का लुत्फ़ उठाते हैं:---




जीवन है कोरे कागज,बंधू,कर्मों की गाथा यहाँ लिख दे ;
छितराये नीले गगन तक,सफलता इक परिभाषा लिख दे।

शिखर पे सफलता गा-गा, कर  रहा  अहा !  आह्वान ;
विपदाओं से लड़, साहसी बन,कर दिव्यजोत नवतान।

अब छोड़ स्वप्न-निद्रा को, मन इक अभिलाषा लिख दे ;
छितराये नील गगन तक, सफलता इक परिभाषा लिख दे।

तू कायर है,समझो हार गया, निर्भय है, रण  मार  गया ;
इन बेतुकी तूफां से टकराकर ही, हिम्मतवाला पार गया।

पथ पे जो विपदाएं आई, उस राही-सबके निराशा लिख दे ;
छितराये नील गगन तक, सफलता इक परिभाषा लिख दे।

प्रेम में विरत रह गए जो, उनमें भर-भर अनुराग दे;
जीवन तम में बीता है जिनके,उन्हें अमर चिराग दे।

दीन-दुःखियों लिए निबलों-विकलों के, गढ़ी आशा लिख दे;
छितराये नील गगन तक, सफलता इक परिभाषा लिख दे।

अपनी ममता के आंचल का, जिसने तुझे  छांव  दिया ;
कि उनमें प्यार जगा,यह घर-बार दिया, वह गांव दिया।

अपनी मातृभूमि के चरणों, धन,तन,मन औ' भाषा लिख दे ;
छितराये नील गगन तक, सफलता  इक परिभाषा लिख दे।


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

1 comment:

  1. मैसेंजर ऑफ ऑर्टMarch 17, 2017

    बहुत खूब !

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART