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1.05.2017

'कवि अरुण शर्मा की प्रेम-कविता'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     05 January     अतिथि कलम     2 comments   

आज जहाँ लोग 'mr. Message','whatsapp' ,'twitter','email'  की दुनिया में अपने को बिजी रखते हैं, वहीं 'कवि अरुण शर्मा ' इन सब माध्यमों से परे चिट्ठियों में मन रमायें हैं । कोई बेवफा निकल जाता है या निकल जाती हैं,किन्तु कोई चाहकर भी एक नहीं हो पाता/हो पाती हैं। कवि अरुण शर्मा के अंदर अपनी प्रेमिका के लिए वफ़ा के भाव है, तभी तो हर रात सोने से पहले प्रेमिका की चिट्ठियों में इस प्रकार खो जाते हैं कि मानों वे अपनी प्रेमिका से प्रत्यक्ष आत्मसात् हो जीवन के अनसुलझे गुत्थियों को सुलझाने में मगन हो गए हों । इस अंक में 'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' लेकर आएं है ,सुलझते गुत्थियों के प्रेम कवि अरुण शर्मा की प्रसिद्ध प्रेम कविता 'तुम्हारी चिट्ठियाँ' ... पढ़िये :-

'तुम्हारी चिट्ठियाँ'


हवाएँ जब चीखने लगती हैं 
घर के परदे कांपने लगते हैं 
दिल की घंटियाँ
बेझिझक बजने लगती हैं 
आसमां भी झूम कर 
झुकने लगता है 
उस वक्त तुम्हारे खत के 
बारे में सोचता हूँ 
तो तुम्हारी याद आ जाती है 
टूट जाता हूँ मैं और 
खुद से रूठ जाता हूँ 
ये सब सच नहीं है 
मुझे एक ख्वाब आया है
मेरे खत का जवाब आया है।

यादों के पन्ने मुरझाने लगते हैं 
कलम के जिस्म से खून भी 
सूख जाते हैं 
घर की चारदीवारी में 
तूफान आ जाता है 
भावनाओं का सैलाब 
उमड़ पड़ता है
छत वाले पंखे की सांसें 
और धड़कनें ट्रेन से भी 
तेज चलने लगती हैं 
उधर बिस्तर का रक्तचाप 
बढ़ने लग जाता है
खिड़की, दरवाजे, अलमारी 
सबके कंधे झुक जाते हैं
घड़ी की सुईयां रुक जाती हैं 
शोकाकुल माहौल में 
घोर निराशा का जन्म हो जाता है
ये सब सच नहीं है 
मुझे एक ख्वाब आया है
मेरे खत का जवाब आया है।

रात होते ही 
शुरु हो जाता है कशमकश
जब सब सोते हैं उस वक्त 
उसके खत और हम जगते हैं 
उलझ जाती है जिंदगी 
जब कोरे कागज़ मेरा 
मुकद्दर लिख देते हैं 
तड़पन, पीड़ा, उदासी 
मन में भरी होती है फिर भी 
कुछ खाली-खाली सा लगता है 
ये सब सच नहीं है 
मुझे एक ख्वाब आया है

मेरे खत का जवाब आया है।
'Messenger of Art' के इस स्तम्भ 'अतिथि कलम' पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी ! 
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2 comments:

  1. UnknownJanuary 05, 2017

    आभारी हूँ आपने मेरी कविता को पोस्ट किया 🙏

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  2. UnknownJuly 03, 2018

    Nice poem

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
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