आदरणीय PM अंकल,
सादर नमन् !
बैंकिंग सेक्टर वालों के लिए आपके माध्यम से मेरा कुछ सलाह है,जब हम किसी बैंक के 'कस्टमर केयर' से बात करते हैं तो पहले वे हमारे अकाउंट नंबर, जन्मतिथि,पिता का नाम इत्यादि के बारे में जानकारी लेते हैं । फिर तब वे हमारे अकाउंट-सम्बन्धी परेशानी को बताते हैं, यथा:- अकाउंट में कितने रुपये हैं,अकाउंट खुली है,बंद या फ्रीज़ इत्यादि ।
चूँकि आज का युग खुली-स्पर्द्धा 'सोशल मीडिया' का है और आपने भी 'मन की बात' में 'कैशलेस सोसाइटी' के बारे में कहा है । इस सम्बन्ध में मैं बता दूँ, फेसबुक से कोई हैकर किसी अकाउंटधारक के नाम,जन्मतिथि, पिता का नाम सहित कई जानकारी निकाल कर किसी के भी अकाउंट में सेंध लगा सकते हैं । लड़ने की कलाबाजियों से बेखबर 'जन-धन खाताधारक' को ऐसे में ग्रहण लग सकता है । मेरा सलाह है, क्यों न बैंक पासबुक में एक यूनिक कोड दिया जाय, जो कि अकाउंट नंबर से भिन्न हो और जो सिर्फ खाताधारक को ही मालूम हो !
चूँकि आज का युग खुली-स्पर्द्धा 'सोशल मीडिया' का है और आपने भी 'मन की बात' में 'कैशलेस सोसाइटी' के बारे में कहा है । इस सम्बन्ध में मैं बता दूँ, फेसबुक से कोई हैकर किसी अकाउंटधारक के नाम,जन्मतिथि, पिता का नाम सहित कई जानकारी निकाल कर किसी के भी अकाउंट में सेंध लगा सकते हैं । लड़ने की कलाबाजियों से बेखबर 'जन-धन खाताधारक' को ऐसे में ग्रहण लग सकता है । मेरा सलाह है, क्यों न बैंक पासबुक में एक यूनिक कोड दिया जाय, जो कि अकाउंट नंबर से भिन्न हो और जो सिर्फ खाताधारक को ही मालूम हो !
-- T .MANU..
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