MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

11.07.2016

"इसबार 'इ-छठ' (e-chhath) : 'छठी नानी' मिली

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     07 November     आपबीती     No comments   

"इसबार 'इ-छठ' (e-chhath) : 'छठी नानी' मिली"


डूबते सूरज को भी सलामी ! जय हिन्द !!
उगते भास्कर के चक्कर में पर घनचक्कर बन सूर्यार्घ्य देने पास के घाट गया मैं  । .... छठी मैया से मिलने, जिन्हें पूरे बिहार-झारखंड, ईस्ट UP, वेस्ट WB सहित भारतीय राज्य, फिर नेपाल, मॉरीशस, त्रिनिडाड, सूरीनाम इत्यादि देशों में इस लोकपर्व की देवी को 'छठी मैया' के नाम से पुकारी जाती है ।
".........परंतु घाट जाने के क्रम में अंधियारे में सुनसान सड़क पर एक वृद्धा के माथे बड़ी डलिया देख मेरा तन-मन चिहुँका, ये क्या ? मैं उनके निकट जा बोझ उतारने को, फिर खुद ले जाना चाहा !
परंतु उसने मना कर दी, बोली- 'मैं खासकर तुमसे ही मिलने आई हूँ ।'
'मुझसे ! क्या आप मुझे पहचानती हैं ।'
'तू परनाती है, मेरी ।'
मुझे लगा कोई केमिकल लोचा या भूत-प्रेत का साया...! वृद्धा मेरी भावना को समझ मुझे ज्यादा संशय में नहीं डाल एक ख़ास निगाह मुझपर डाली---
'अरे ! क्यों डरते हो, मनु.....'
मैं अपना नाम उनसे सुन मेरे शरीर का रोमछिद्र और भी सिकुड़ गया ।
'मनु, तू भारत के मानव .... भारत तुम्हारी माता है, तुम्हारी नानी धरती है । धरती सूर्य की पुत्री है और सूर्य की बहन छठ है । मैं छठ हूँ !'
...इस नास्तिक को देवी ने दर्शन दी । फिर भी मैंने उसे परखना उचित समझा !
'पर आप छठी मैया हुई न !'
'नाही रे, लोगों का क्या ? वो सब तो ख्यालों में जीते हैं ! मैंने अभी जो वंशवृक्ष सुनाई, सूर्य परनाना है तुम्हारे और मैं सूर्य की बहन यानी तुम्हारी परनानी हूँ ।'
'रुको, यह डलिया उतार दूँ जरा !' बुढ़यायी साँस तेज चली ।
'क्यों, अब क्यों भारी लगने लगी ??'--- मैंने डलिया उतार दी ।
'नहीं रे, तुमको सूप दिखाने के लिए ऐसा की !'
'क्यों, सोने की सूप है ??'
'हाँ रे !!'
'अंय ??????' मैं सोते से जगा ! सचमुच में 72 सूप !!
'यह 72 सूप क्यों परनानी ?'
'पिछली दफ़ा पर्व नहीं मना पायी थी, न ! इसलिए इसबार दूनी सूप है !!'
'परंतु 36 भी क्यों ???'
'तुम्हें G.S. का ज्ञान है या नहीं !'
'लेकिन इसमें G.S. कहाँ से आ गयी ? यह 36 अंक उलट विचारधारा से है !'
'नहीं रे !! भारत में कितने राज्य हैं ??'
'29' (उनतीस)
'और को भूल जाते हो , दिल्ली , फिर 6 और.......'
'ओ..ओ...ओ...तो....हाँ....36......'
'तो सुनो ये 72 सूप तुम्हारे हैं और तुम्हें घाट ले जाकर चढाने हैं....'
'मुझे !!! पर मैं तो नास्तिक हूँ !!!!!!'
'यह तुम्हारा फैशन है, मेरी नहीं ... मैं डलिया छोड़ जा रही हूँ ... सँभालो...'
'अरे, नानी...परनानी सुनो तो...'
परंतु छठी परनानी के रुख़सत की रफ़्तार इतनी तेज थी कि मेरे समझते- समझते ओझल हो गयी और इधर मैं डलिया की ओर देखा, तो डलिया भी गायब थी ! मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था । ... क्या यह मेरा भ्रम था या कोई केमिकल-लोचा... यह घटना को मैं नास्तिक के नाते किसी से शेयर भी नहीं कर सकता था ।
अफ़सोस को वहीं फूँक मार घाट की ओर चल दिया .....।।।"

घाट तक जाने की प्रक्रिया में अब काफी बदलाव आ गया है , खुद के पैदल और माथे पर उस छठी परनानी द्वारा सूप की डलिया के साथ को छोड़ ... और किसी ग्रामीण को धुन से सजायी कीर्त्तनमंडली के संग किसी लोगों को मैंने नहीं देखा .... ..... देखा तो ट्रेक्टर पर सवारी करते छठी परनानी के बेटे-बेटी और उनके आदरणीय पूजा-सामग्री के साथ ठुसम-ठूँस परिवारों की भीड़,  इधर टेम्पू से निकला 'पें-पें' की सायलेन्सरफट-आवाज के साथ मुँहफट पटाखों की कसरत, नव-बालिगों की हिस्टिरियाई करतल ध्वनियाँ और DJ में गीजे करती शारदा सिन्हा की गीत-प्रतिगीत कि शारदा सिन्हा ही मानों छठी मैया हो..... सब मिल शांति के इस पर्व में अशांति का माहौल उत्पन्न कर रहे थे,  वहीं दूजीओर नदी जल में पर्व व्रती सूर्यार्घ्य में मशगूल थे, किन्तु नवयौवन - नवयौवनिका जूते-जूतियाँ, स्मार्ट-टाइप जीन्स-स्कर्ट , खुला हुआ V गले का T-शर्ट , टॉप्स के साथ प्रेम-माधुर्य वार्त्ता में मगन थे ....लड़के अर्घ्य देने में कम, लड़कियों के नहाने पर ज्यादा ही तवज्जो दे रहे थे ...और लड़कियां भी कम नहीं , अधकटे टाईट जीन्स-टॉप पहन मुमताज़ कम, राधिका आप्टे की किरदार में थी । फ़िल्म 'पार्च्ड' (PARCHED) का असर था, यहाँ 'भरतनाट्यम' के 'लूंगी डांस' अवतार ज्यादा ही प्रभावी था ... कुछ लड़की जूती पहनकर ही अर्घ्य देने पानी में घुस गयी थी......
अरे ओ ! छठी परनानी झलक दिखाकर कहाँ चली गयी, इसबार से 'इ-छठ' का श्रीगणेश कर ? गोबर गणेश के प्रति ! जय हो !!

-- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART