"मुखिया, सरपंच भी सोशल मीडिया से जुड़े"
"हाल - फिलहाल' गांव के आमसभा में भाग लिया , वहां पर मैंने 'सरपंच साहब और मुखिया जी' को यह बात कहा कि 'जनता के सभी गणमान्य प्रतिनिधि' सोशल-मीडिया से जुड़ें, क्योंकि भागम-भाग ज़िन्दगी में कोई 'समस्या' आ जाती है तो 'मुखिया-सरपंच' के घर जाना पड़ता है, परंतु वे कितने समय "घर" पर रहते हैं, खुद मैं भी भुक्तभोगी हूँ, उनसे मिलने जाने पर काफी समय उनके परिवार वाले 'मुखिया जी घर पर नहीं है' कह बहाना बना देते हैं.... मेरी इस पहल पर लोगों ने सराहा तथा इस मुहिम को 'दैनिक जागरण' ने editorial page में शामिल किया, पढ़िए और सोशल मीडिया में तत्क्षण शामिल होइए ।
"अपने कार्यों के प्रति पारदर्शिता लाने के लिए हमारे मुखिया, सरपंच, वार्ड कॉउंसिलर जैसे पंचायती-प्रतिनिधि सोशल मीडिया यानी फेसबुक आदि पर एकाउंट खोलें, ताकि ग्राम-नगरवासी उनके व्यक्तिगत परिचय सहित उनके द्वारा कराये जा रहे कार्यों से अवगत हो सके और उन्हें एतदर्थ सुझाव भी प्राप्त हो सके । सरपंचों के समक्ष आए अबूझ मामले पर भी इसके माध्यम से राय जानी जा सकती है, इससे अन्य पक्ष के कुकारनामें भी जाहिर होंगे तथा पारदर्शिता भी बनी रहेगी" ।
लेखक:- टी. मनु (सोशल एक्टिविस्ट) ।
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