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6.14.2016

'मोनालिसा ...अरे-O-मोनालिसा ...कहाँ हो मोनालिसा !!मैं लियोनार्दो,आज का मनु !!'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     14 June     लघुकथा     No comments   


                            मोनालिसा .. अरे 'O' मोनालिसा ...कहाँ हो मोनालिसा !!
                                           मैं लियोनार्दो , आज का मनु !!
पढ़िए भाग-3 :-
लूव्र संग्रहालय पेरिस का विरासत जहाँ अच्छे-2 चीजो ,पेंटिंग्सं का संग्रह हैलेकिन आज सीन नदी की हाहाकारी दस्तक ने पेरिस के जनता के साथ-साथ इस संग्रहालय के लोगों को भी प्रभावित किया , दो दिनों से यहाँ परिंदा भी पर नहीं मार रहा था क्योंकि बाढ़ पानी का स्तर 6 मीटर से 8 मीटर के बीच आने की संभावना बताई जा चुकी थी इसलिए वहां के अधिकारी ने , सभी पेंटिंग्स को 3rd फ्लोर में रखवाकर घर को चल पड़े थे और घर पर् सीन नदी की कोहरामता पर 'सीन'काफी गर्म हो रही थी  !
                                   लेकिन कोई और था जो उस संग्रहालय में रात के 2 बजे , 7 मीटर पानी को चिड़ते हुए आगे बढे जा रहा था , ये कौन था नहीं मालूम ? खुद रात के सन्नाटे के साथ-साथ उस अज्ञात पुरुष  के छाया को भी नहीं मालूम था की वो वहाँ क्यों आया था ?
अरे हां वो देखिये , मास्क लगाये वो इंसान म्यूजियम के गलियारों में उतर चूका है जो की पानी से भरा पड़ा है को पार करते हुए उस फ्लोर पर आ चूका जहाँ सुखा है पानी अब न के बराबर था , वहां वह दोनों तरफ देखते हुए आगे बढे जा रहा था वो अभी हाथ में मास्क पहने और मुह में टोर्च को लिए जो की अभी जल रहा है के साथ गलियारों में बेख़ौफ़ बढ़ रहा था शायद उसे मालूम हो चूका था CCTV कैमरा के साथ-2 यहाँ के मानवी देशभक्त 'सीन के संताप' में डूबे हुए है ।

                   उसने अब गलियारों से गुजरना बंद कर दिया था वो मास्कधारी अब एक तालाबंदी रूम के पास आया और पॉकेट में हाथ को डाला और मास्टर key की गुच्छियों से कुछ key को try किया और तीसरी बार में उस 'मैकेनिकल ताले को पत्नी' मिल गयी यानि चाभी के प्यार से ताला ने रुषवाई छोड़ दी और गले लग गयी , खुल गयी ... ताले के खुलने के साथ एक अजीब सी ख़ुशी मास्कधारी के ध्रुत आँखों में दिखाई दिया , उसने आगे पीछे-देखा जिसका शायद कोई मतलब न था और रूम में प्रवेश कर गया ।

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