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7.08.2022

'डिलीवरी ब्वॉय भी इंसान हैं...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     08 July     अतिथि कलम     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ़ आर्ट में पढ़ते हैं, सुश्री भावना ठाकुर 'भावु' की वर्त्तमान परिदृश्य पर लिखित आलेख.......

सुश्री भावना ठाकुर 'भावु' 

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग और बाहर का खाना खाने का शौक़ हम लोगों पर कुछ ज़्यादा ही चढ़ा है, जिसकी वजह से घर-घर फ़टाफट खाना और सामान पहुँचाने वाली एप्स में जैसे प्रतियोगिता चल रही है। कोई आधे घंटे में पिज्जा पहुँचाने की एनाउंसमेंट करती है, तो कोई पंद्रह मिनट में तो कोई दस मिनट में। हम भूख के मारे जो सबसे कम समय में खाना डिलीवरी करते हैं, ऐसी एप पर खाना ऑर्डर करते हैं, पर जब हम Zomato और Swiggy जैसे फूड एग्रीगेटर्स से अपना खाना ऑर्डर करते हैं और डिलीवरी बॉय हमारे दरवाजे पर समय पर नहीं पहुंचता तब हम देर से आने के लिए उसे ऐसे डांटते हैं, जैसे उसने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो, उनकी शिकायत कर देते है जैसे वह इंसान नहीं मशीन है। कई कंपनी हमारी शिकायत पर डिलीवरी ब्वाॅय को या तो नौकरी से निकाल देते है या सैलरी काट लेती है। उन लोगों के बारे में कभी आपने सोचा है, आप बड़े घरों में बैठकर ऑर्डर देने में माहिर है, पर उस नौकरी से उस लड़के का घर चलता है या स्कूल कालेज की फ़ीस निकलती है। महज़ छोटा समझकर किसी के साथ ऐसा व्यवहार अशोभनीय है। हर इंसान को अपना आत्मसम्मान प्यारा होता है।
ऑनलाइन शॉपिंग में कई बार कुछ ग्राहकों का रवैया डिलीवरी ब्वॉयज़ के प्रति काफ़ी खराब होता है। सर्विस में कमी, उत्पाद के पहुंचने में हुई देरी या सामान में खराबी का सारा गुस्सा डिलीवरी ब्वॉय पर उतरता है, जिसको शायद यह भी मालूम नहीं होता कि आपने मंगवाया क्या है ?
हम लोगों में इतना पेशन, इतनी मानवता नहीं बची, उसके देर से आने का कारण जानें, उनसे पूछे कि क्यूँ देर हुई ? हो सकता है किसी दुर्घटना की वजह से लेट हो गए हो, कोई हेल्थ इमरजेंसी आ गई हो या वह लड़क बीमार हो या ट्रैफिक जाम में फंसा हो। हम इतने स्वार्थी बन गए है कि किसी की मजबूरी का गलत फ़ायदा उठाने लगे है। समय पर खाना नहीं पहुँचा तो नौकरी बचाने के चक्कर में डिलीवरी ब्वॉय कई बार एक्सिडेंट का शिकार बन जाते हैं, उनके हाथ पैर टूट जाते हैं या जान भी जा सकती है। सोचिए वह भी किसी के जिगर का टुकड़ा होता है या हो सकता है घर में एक ही कमाने वाला हो, अगर हमें जल्दी खाना पहुँचाने के चक्कर में उसके साथ अनहोनी हो जाती है तो क्या हम खुद को माफ़ कर पाएंगे ? जब ऑनलाइन सुविधा नहीं थी तब हम सारी चीज़ें लेने खुद ही दुकानों और  रेस्टोरेंट तक जाते थे ,उसमें समय लगता ही था। तो आज भी क्यूँ न थोड़ा इंतज़ार कर लें, देर से आने पर डिलीवरी ब्वाॅय से कारण पूछें, उसे पानी पिलाए और हंसकर कहें कि it's ok जिससे एक संदेश भी फैलेगा और it's ok सुनते ही उस लड़के के चेहरे पर जो सुकून मुस्कुराएगा, उसे देखकर खुद पर भी गर्व महसूस होगा। 


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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