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6.10.2022

'बूँदें...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     10 June     अतिथि कलम     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट में पढ़ते हैं, निबंधकार और संपादक श्रीमान पंकज त्रिवेदी की रचना.......

बूँदे-
जब भी गिरती है
थिरकते पत्तों पर
मन भी नाचता है

बूँदे-
जब भी गिरती है
प्यासे के होंठों पर
परितृप्ति होती है

बूँदे-
जब गिरती है
प्यार की गहराई में
जिस्मानी लहर होती है

बूँदें-
कभी यहाँ वहाँ गिरे
कभी मिट्टी सी सुंगध
बोआई हो जाती है !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।


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