आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री नन्दिनी श्रीवास्तव की असाधारण रचना......
बादलों को कहाँ होश है
आज फिर चाँद ख़ामोश है
प्यार मिलता हमें भी मगर
इन लकीरों में कुछ दोष है !
नमस्कार दोस्तों !
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