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7.03.2022

'आज फिर चांद खामोश है...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     03 July     अतिथि कलम     1 comment   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री नन्दिनी श्रीवास्तव की असाधारण रचना......

सुश्री नन्दिनी श्रीवास्तव

बादलों को कहाँ होश है
आज फिर चाँद ख़ामोश है

प्यार मिलता हमें भी मगर
इन लकीरों में कुछ दोष है !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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1 comment:

  1. AnonymousDecember 06, 2022

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