आइये, मैसेंजर ऑफ़ आर्ट में पढ़ते हैं, श्रीमान उज्ज्वल मल्हावनी की मर्मस्पर्शी रचना.......
श्रीमान उज्ज्वल मल्हावनी
कैसे कह दूँ
नहीं देखा ईश्वर
जबकि-
मैंने देखा है
माँ को !
नमस्कार दोस्तों !
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