MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

5.06.2022

'आज के समय में ज्ञान नई पीढ़ी से मिलकर ही बढ़ता है...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     06 May     अतिथि कलम     No comments   

 आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, श्रीमान प्रभात रंजन के विचारफलक........

श्रीमान प्रभात रंजन 

पिछले एक सप्ताह के दौरान किन्ही कारणों से अपने विश्वविद्यालय के अनेक प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं से मिला। सभी ग्रेजुएशन स्तर के थे। जिस बात ने बहुत प्रभावित किया उनमें से अधिकतर तकनीकी रूप से दक्ष थे और तकनीक के माध्यम से हिंदी में जितनी संभावनाएँ उभर रही थीं उनसे अच्छी तरह से वाक़िफ़ थे। डिजिटल संसार की संभावनाओं और सीमाओं को बहुत अच्छी तरह समझने वाले लोग थे। यही नहीं समकालीन साहित्य और युवा लेखकों के बारे में भी उनका ज्ञान अच्छा था। कुछ ने इसको लेकर बहुत मज़ेदार टिप्पणियाँ की कि किस लेखक की मार्केटिंग की रणनीति क्या है ? सभी की जानकारी से कुछ न कुछ प्रभावित हुआ, लेकिन इस बात से आश्चर्यचकित रहा कि उनमें से किसी ने हिंदी साहित्य की परम्परा को लेकर कोई बात नहीं की। एक समूह में मैंने बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित पहली हिंदी किताब की चर्चा की तो किसी ने भी रेत समाधि पढ़ने में या लेखिका गीतांजलि श्री के बारे में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई। जबकि मैं निजी तौर इस घटना को आधुनिक हिंदी की आज तक की सबसे बड़ी घटना मानता हूँ। ख़ैर, एक बात समझ में आई कि हिंदी की नई पीढ़ी भविष्य का मुक़ाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन हिंदी साहित्य की विराट परम्परा के बारे में वे कोर्स से बाहर हटकर अधिक बातचीत नहीं करते। न उनको अधिक पढ़ते हैं। एक बात और फेसबुक पर ‘अच्छा’ लिखने वाले हर लेखक के बारे में उनको अच्छे से पता है।

एक बात और जिस युवा लेखक मैं सबसे लोकप्रिय समझ रहा था असल में उसकी लोकप्रियता उतनी नहीं है बल्कि वह लेखक सबसे अधिक लोकप्रिय है जिसको मैं ख़ास तरजीह नहीं देता था। नाम तो नहीं लिखूँगा लेकिन एक बात है कि आज के समय में ज्ञान नई पीढ़ी से मिलकर ही बढ़ता है।


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART