आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं; श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' की कविता.......
श्रीमती रचना भोला 'यामिनी' |
दिलासा-
मेरे गालों पर बहते
आँसू की लड़ियों,
थरथराते होठों,
और पीड़ा के भार से दबती,
छाती से उठती गहरी साँसों के बीच,
जो एक बार थाम ही लिया होता हाथ मेरा,
जानते तो हो-
तुम्हारी छुअन से बड़ा दिलासा कोई नहीं मेरा।
नमस्कार दोस्तों !
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