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8.01.2021

कालजयी कृति 'अलग्योझा' का पोस्टमार्टम...(लघु प्रेरक समीक्षा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     01 August     समीक्षा     No comments   

आदरणीय पाठकगण !

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कथा अलग्योझा की समीक्षा.......

चित्र साभार :- गूगल

क्या उस काल में दूसरी, तीसरी शादी करना आम बात थी ? क्या दूसरी शादी देखभाल के लिए किया जाता है या फिर अन्य कारणों से ? क्या प्रस्तुत कथा के समय विद्यालय भी अलग-अलग थे ? क्या कथानुसार भैया (बैया) छोटे बच्चे को भी कह सकते हैं ? क्या विधवा होने का अर्थ है कोई भी आकर शादी कर ले ?
जो भी हो, प्रेमचंद रचित 'अलग्योझा' कथा सामाजिक सच्चाई है भी और नहीं भी, किन्तु कथा की कई बातें पचती नहीं !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।


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