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6.21.2021

कालजयी कृति 'विजय' का पोस्टमार्टम...(लघु प्रेरक समीक्षा)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     21 June     समीक्षा     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी विजय की लघु व प्रेरक समीक्षा.......


प्रेमचंद की कहानी 'विजय' !
प्रस्तुत कथा में प्रवेश करते हैं, तो पाते हैं कि विशेष बात तो तब होगी, जब शहजादा (शाहजादा) की शादी किसी साधारण घरों की आम लड़की से हो जाय ! प्रस्तुत कथा विन्यास से अवबोधित द्रष्टव्य होती है !
कथानुसार क्या हवाई जहाज बनाना इतना ही आसान है ? कोई अपना राज्य छोड़कर कथानुसार कहीं जा सकता है क्या ? जब मलका (मल्लिका) बेहोश हो गयी, तो फिर इतनी जल्दी लड़ाई के लिए कैसे तैयार हो गयी थी ? यह तो बिल्कुल ही विस्मयादिबोधक लिए है !
जो भी हो, प्रेमचंद रचित कथा 'विजय' उस काल की सच हो सकती है, किन्तु अभी के समय में बिल्कुल भी नहीं यानी ना बाबा ना-ना !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं।
 इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।

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