MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

1.27.2021

जब लेखिका आयुषी खरे ने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए कर गए रोचक बातचीत...

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     27 January     इनबॉक्स इंटरव्यू     No comments   

वर्ष 2021 के प्रथम माह (जनवरी) अब अवसान पर है, इस माह स्वामी विवेकानंद जयंती, अन्नपर्व, मकर संक्रांति, गुरु गोविंद सिंह प्रकाश पर्व, नेताजी सुभाष जयंती, जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती, राष्ट्रीय मतदाता जागरूकता दिवस, स्वविधितंत्र (गणतंत्र) दिवस सोल्लास मनाई गई, तो भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्साशास्त्रियों ने कोविड 19 के विरुद्ध जो 2 स्वदेशी वैक्सीन विकसित किए और जिसे दिए भी जा रहे हैं, यह वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण उपलब्धि है, किन्तु किसान आंदोलन के बहाने रेडफ़ोर्ट में जो हुआ, इसे सामान्य घटना नहीं कहा जा सकता ! ऐसे ही प्रसंगों के बीच 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' ने जनवरी 2021 के 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए चर्चित लेखिका सुश्री आयुषी खरे से लिए गए साक्षात्कार को प्रकाशित कर इस साल के प्रसंगश: स्वर्णिम आग़ाज़ किये हैं। .....तो आइए, पढ़ते हैं सुश्री आयुषी के शब्दजुबानी खट्टी-मीठी, परंतु बेबाक बातें.....

Messengerofart.in
लेखिका आयुषी खरे

प्र.(1.)आपके कार्यों/अवदानों को सोशल/प्रिंट मीडिया से जाना। इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में बताइये ?

उ:-

पेशे से अंग्रेज़ी भाषा की शिक्षिका होने और पत्रकारिता क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ-साथ मेरी प्रथम पुस्तक साल 2018 में प्रकाशित हुई। इंग्लिश लैंग्वेज पढ़ाने के क्रम में यह ज्ञात हुआ कि छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी की एक ऐसी पुस्तक उपलब्ध कराई जाए, जिसमें आवश्यक जानकारी सरल एवं कम शब्दों में बताई गई हो, यही विचारधारा मेरी हैंडबुक ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज पुस्तक का आधार बनी। एकेडमी में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं सभी पाठकों द्वारा मेरी पहली पुस्तक के कंटेंट को खूब सराहना मिली। लेखन के क्रम में वर्ष 2018 में ही मेरी दूसरी पुस्तक 'हमसफ़र' लॉन्च हुई। इंग्लिश भाषा में प्रेम कहानियों का संग्रह यह किताब 'हमसफ़र' एक नाम कायम कर रही थी, जब 2019 में हिन्दी भाषा में उपन्यास 'ख़्वाहिश' मेरी तीसरी पुस्तक लॉन्च हुई, जिसे पाठकों से बहुत स्नेह मिला। इस वर्ष 2020 में अक्टूबर माह में मेरी चौथी किताब 'टेंस सिम्प्लीफाइड' लॉन्च हुई है, जो इंग्लिश ग्रामर, प्रमुखत: टेंस (काल) को सरल तरीके से सिखाती है एवं इस पुस्तक में इंग्लिश लैंग्वेज के 500 से ज़्यादा सामान्य उपयोग में आने वाले वाक्य, बहुत सारे प्रश्नवाचक वाक्य, फ्रेज़ल वर्ब्स एवं प्रोवर्ब्स का समायोजन है, जिसे पाठक एवं सभी उम्र के विद्यार्थी उपयोगिता में ला रहे हैं। बैतूल के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में इंग्लिश लैंग्वेज की असिस्टेंट प्रोफेसर हूँ।

प्र.(2.)आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उ:- 

पढ़ने-लिखने एवं सादगीपूर्ण जीवन को बढ़ावा देने वाले मेरे परिवार ने शिक्षण एवं लेखन के क्षेत्र में अपना स्थान बनाने एवं समाज के उत्थान के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े रहने में मेरा हमेशा उत्साहवर्धन किया एवं समय-समय पर उपयुक्त मार्गदर्शन किया। मेरे पिता इंजीनियर हैं और बड़े भैया एम.ए. इंग्लिश होने के साथ ही एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल में रिपोर्टर हैं। शिक्षा, सेवा और सामाजिक परिप्रेक्ष्य से जुड़े होने से मेरा परिवार मेरे लेखन, शिक्षण एवं पत्रकारिता के इन मार्गों पर मददगार साबित हुआ।

प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किस तरह से प्रेरित अथवा लाभान्वित हो रहे हैं ?

उ:- 

महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर देने हेतु मेरी एकेडमी द्वारा समय-समय पर बैच किये जाते हैं, साथ ही मेरा मानना है कि ज्ञान का सरलीकरण शिक्षा में सार्थक योगदान है। इसके साथ ही मेरे समस्त कार्यक्षेत्र से ज़रूरतमंद लोगों हेतु यथासंभव सहायता की जाती है।

प्र.(4.)आपके कार्यों में जिन रूकावटों, बाधाओं या परेशानियों से आप या आपके संगठन रूबरू हुए, उनमें से कुछ बताइये ?

उ:-

अच्छे एवं नैतिक रास्ते में आने वाली रुकावटें हमें बौद्धिक क्षमता एवं संसाधनों के बेहतर उपयोग की ओर अग्रसर करती हैं, जीवन के उतार-चढ़ाव को जीते हुए यही मेरा मानना है कि एक छोटे शहर से होकर लेखन के क्षेत्र में बड़े शहरों की प्रचलित लेखन कार्यप्रणाली का मुकाबला करना कठिन रहा, जिसमें मैंने स्वयं ही अपने रास्ते बनाए एवं तय किए। कार्य को पिछली स्थिति से बेहतर करते जाना ही कई सामान्य एवं कई नई मुश्किलों से जूझने हेतु प्रेरणा बनी।

प्र.(5.)अपने कार्यक्षेत्र हेतु क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होने पड़े अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के शिकार तो न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाए ?  

उ:-

शिक्षण कार्य एवं पत्रकारिता से हुई आय से मैंने पुस्तक से संबंधित आर्थिक पूर्तियों को पूर्ण की।

प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट हैं या उनसबों को आपके कार्य से कोई लेना देना नहीं !

उ:-

लेखन कार्य सामाजिक क्षेत्रों में सीधा दखल रखता है। पुस्तक को आम एवं खास सभी पढ़ते हैं, इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से मुझे सभी से जुड़ने का मौका मिलता है। यही मेरे कार्यक्षेत्र की खूबसूरती है। यही खूबी मुझे मेरे कार्य के प्रति समर्पित करती है। मेरे परिवारजन मेरे लेखन कार्य से गर्व महसूस करते हैं एवं खुश हैं।

प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ?

उ:- 

मेरी कुशल टीम ही मेरे कार्यों की ताकत है, जो एडिटिंग से लेकर प्रकाशन एवं प्रकाशन से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन, विज्ञापन, फ़ीडबैक लेने इत्यादि कार्यों में मुझे पूरा सहयोग करती है।

प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं ?

उ:- 

संस्कृति को यथावत रखने में साहित्य का विशेष महत्व है और मैं अपने लेखन में इस बात का ध्यान रखती हूँ। लेखन में मेरा नज़रिया साकारात्मक, ऊर्जावान होता है। भद्दा साहित्य लिखने से मैं गुरेज़ करती हूँ। भाषा एवं भाषा शैली का लेखन में विशेष महत्व है।

प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !

उ:- 

युवाओं को भ्रष्टाचारमुक्त मार्ग अपनाना चाहिए, अनीति से दूर रहना चाहिए। बतौर लेखक मैं समाज में नैतिकता पर ज़ोर देती हूँ।

प्र.(10.)इस कार्यक्षेत्र के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे या कोई सहयोग प्राप्त हुए या नहीं ? अगर मिले, तो क्या ?

उ:- 

शिक्षणकार्य से मिलनेवाली पारिश्रमिक एवं पुस्तक विक्रय से मिलने वाली रॉयल्टी ही आर्थिक सहयोग एवं कमाई है।

प्र.(11.)आपके कार्यक्षेत्र में कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी धोखा, केस या मुकद्दमे का सामना करना पड़ा हो !

उ:- 

विसंगतियां तो लगभग सभी क्षेत्रों में व्याप्त हैं, सो यहां भी मौजूद हैं। हालांकि अपने कार्य की काबिलियत और क्षमता बढ़ाने से दोष और विसंगतियों का प्रभाव घट जाता है।

प्र.(12.)कोई पुस्तक, संकलन या ड्राफ्ट्स जो इस संबंध में प्रकाशित हो तो बताएँगे ?

उ:- 


विभिन्न न्यूज़पेपर एवं न्यूज़ चैनल पर बतौर लेखक इंटरव्यू और न्यूज़ आ चुकी हैं, साथ ही काफी सारे न्यूज़ वेबसाइट्स पर भी पुस्तकों और उनके संदर्भ में मेरे साक्षात्कार एवं खबर प्रकाशित हो चुकी हैं।

प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?

उ:- 



यूँ तो पाठकों का प्यार और सराहना मेरे लिए सबसे अहम पुरस्कार है, जिससे मैं अपनी सभी पुस्तकों के लिए सस्नेह सम्मानित हुई हूँ। इसके साथ वर्ष 2019 में NE8x द्वारा 'हमसफ़र' बुक के लिए 'ऑथर ऑफ द ईयर' का सम्मान प्राप्त हुआ, साथ ही बैतूल की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रशंसा-पत्र प्राप्त हुए।

प्र.(14.)कार्यक्षेत्र के इतर आप आजीविका हेतु क्या करते हैं तथा समाज और राष्ट्र को अपने कार्यक्षेत्र के प्रसंगश: क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 

उ:- 

इंग्लिश एकेडमी, शिक्षण, एवं पत्रकारिता साथ ही बुक्स, सभी के माध्यम से प्राप्त होने वाली आय, आजीविका का माध्यम है।

"अपने किरदार में ईमानदारी, अपने कर्मों में सच्चाई, अपनी सोच में बड़प्पन एवं अपने भावनाओं में संवेदनशीलता बनाए रखने से तरक़्क़ी एवं सुकून दोनों हासिल होते हैं, यही बतौर लेखक मेरा अपने पाठकों को संदेश है।"

आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !

नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !
हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART