आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं; लेखिका वर्षा गुप्ता 'रैन' द्वारा लिखित प्रेम पर विचार.......
लेखिका वर्षा गुप्ता 'रैन' |
सुनो इश्क़ !
तुम्हारे कहने पर मैं दिन को रात तो कह दूँ, मगर नहीं हो सकेगा मुझसे; फ़रेब को फ़रेब न कहना, तुम्हें मनाने भर की लाख कोशिशें भी चाहे कम पड़ जाए, मैं अड़ी रहूँगी उसी फैंसले पर; जहाँ मेरा मन मेरी आत्मा एक होकर कह देंगे कि मेरा यह फ़ैसला सही है औऱ तुम ग़लत।
हाँ ! यह थोड़ा कठिन होगा, पर तुम्हारे प्रेम के शहद के लालच में मैं नहीं खो सकती, अपना जमीर; अपना आत्मसम्मान। चाहे फिर वो नीम के दातुन सा ही क्यों न हुआ हो ?
नमस्कार दोस्तों !
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