आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं; सुश्री शशि पुरवार रचित छंद...
मन के पोखर में सदा, अच्छे दिन की आस
बीच भँवर में फँस गई, मृगतृष्णा की प्यास
मृगतृष्णा की प्यास, हलक भी लगता सूखा
भूले दिन भी रात, प्रश्न में उलझा भूखा
कहती शशि यह सत्य, दुःख सुख है जीवन के
खुशियों की पदचाप, सहेजो निस दिन मन के !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
0 comments:
Post a Comment