MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

8.11.2020

'बुलाती है मगर जाने का नहीं...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     11 August     फेसबुक डायरी     No comments   

'बुलाती है मगर जाने का नहीं...'
सोशल मीडिया पर कुछ समय से राहत इंदौरी साहब के शायरी की यह पंक्ति खूब ट्रेंडिंग कर रही है; किन्तु यह शायरी उनपर क्यों न बैठ पाई यानी-
"बुलाती है मगर जाने का नहीं-
ये दुनिया हैं, इधर जाने का नहीं...
फिर उस अजीब दुनिया में क्यों चले गए सर,
क्या 'राहत' पहुंचाने ?"
आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं डॉ. सदानंद पॉल द्वारा लिखित उनपर श्रद्धांजलि आलेख...
फ़ोटो : राहत इंदौरी

प्रख्यात शायर "राहत इंदौरी'' उर्फ राहत कुरैशी इस दुनिया को छोड़ गए, उनके निधन पर सभी स्तब्ध हैं, वे 70 वर्ष 7 माह के थे। विकिपीडिया के अनुसार, वर्ष 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम ए किया। तत्पश्चात 1985 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पी-एच डी की उपाधि प्राप्त की। राहत इंदौरी जी ने शुरुवाती दौर में इंद्रकुमार कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। उनके छात्रों के मुताबिक वह कॉलेज के अच्छे व्याख्याता थे। फिर बीच में वो मुशायरों में व्यस्त हो गए और पूरे भारत से और विदेशों से निमंत्रण प्राप्त करना शुरू कर दिया।

उनकी अनमोल क्षमता, कड़ी लगन और शब्दों की कला की एक विशिष्ट शैली थी, जिसने बहुत जल्दी व बहुत अच्छी तरह से जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया। राहत साहब ने बहुत जल्दी ही लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना लिया और तीन से चार साल के भीतर ही उनकी कविता की खुशबू ने उन्हें उर्दू साहित्य की दुनिया में एक प्रसिद्ध शायर बना दिया था। वह न सिर्फ पढ़ाई में प्रवीण थे, बल्कि वो खेलकूद में भी प्रवीण थे,वे स्कूल और कॉलेज स्तर पर फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी थे। वह केवल 19 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में अपनी पहली शायरी सुनाई थी।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • 'जानकीपुल.कॉम' के शिल्पकार श्री प्रभात रंजन से 'इनबॉक्स इंटरव्यू'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • "एक शरीफ़ लेखक की शरीफ़ाई 'कोठागोई"

Categories

  • अभियान
  • आपबीती
  • आलेख
  • मन की बात
  • मैसेंजरनामा
  • लघुकथा
  • शोध आलेख
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART