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5.18.2020

'कोरोना ने परिवार को साथ ला दिया है !'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     18 May     मन की बात     No comments   

कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में डर का माहौल है, किंतु कोरोना वारियर्स हर वक़्त बचाव कार्य के लिए आगे आ रहे हैं ! कुछ लेखक जहाँ मास्क मैन बनकर, मास्क बनाकर मुफ़्त में वितरित कर रहे हैं, तो वहीं डॉक्टर, पुलिस, बैंककर्मी इत्यादि अपनी सेवाएँ दिन-रात दे रहे हैं ! इन सभी कोरोना वारियर्स का हम बेहद शुक्रगुजार है ! आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं श्रीमान दिलीप भाटिया द्वारा लिखित लघु आलेख और जानते हैं कोरोना महामारी से उपजी समस्याओं के बीच आमलोग अपना ज़िंदगी किस तरह व्यतीत कर रहे हैं...
श्रीमान दिलीप भाटिया

मनीषा घर के सारे कार्य बर्त्तन सफाई पोछा स्वयं कर अपना वज़न नियंत्रण में
रख रही है। चन्द्र प्रकाश जी पोते को गणित पढ़ा रहे हैं। मालती बच्चों के
साथ केरम लुडो खेलती हैं। कमल ने घर के अव्यवस्थित बगीचे की सफाई कर
पौधों को नव जीवन दे दिया है। रुचि ने मम्मी से खाना पकाना सीख लिया है।
ममता बहू अपनी मम्मी जी को प्रतिदिन रामायण पढ़ कर सुना रही है। कैलाश
वाट्सएप पर विद्यार्थियों को समय प्रबंधन एवं कैरियर चुनाव के टिप्स दे
रहा है। नाश्ता एवं भोजन पूरा परिवार एक साथ कर रहा है। परिवार के
सदस्यों के बीच पुराने मनमुटाव बातचीत से हल हो गए हैं। पुरानी पुस्तकों
को फिर पढ़ा जा रहा है। पत्रिकाएं पुस्तकालय में देने के लिए अलग की जा
रही हैं। नगर के अस्पताल में भरती मरीजों के लिए घर में अतिरिक्त खाना
बनाकर भेजा जा रहा है। समय नहीं मिलने का अभी कोई बहाना नहीं है इसलिए
रिश्तेदारों एवं मित्रों सहेलियों से फोन पर कुशलता के समाचार लिए जा रहे
हैं। फास्ट फुड की दुकान बंद होने से बच्चे रसोई में बना भोजन भी खुश
होकर खा रहे हैं। पार्लर सिनेमा माल कपड़ों गहनों की दुकानें बंद होने से
घर का मासिक बजट नियंत्रण में है। परिवार के सदस्य सादगी के साथ जी कर एक
अलग अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। परिवार में प्यार स्नेह बढ़ा है एवं झगड़े
कम हो गए हैं। 

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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