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1.17.2019

"प्रेम तो प्रेम से मिलता है, यत्न से नहीं" (कवयित्री मधुलता त्रिपाठी की एक बेहतरीन कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     17 January     कविता     1 comment   

प्रेम व प्यार ही दुनिया में एक ऐसी चीज है, जिसकी हम जितनी कल्पना करें व याद करें, वह और भी प्यास बढ़ाती है । सच में, प्यार और प्यास के आरंभिक वर्ण यानी 'प' स्वयं में आधी है । कहा यह भी जाता है, जिनकी शुरुआत ही अधूरी हो, यह शब्द किसी के जीवन में पूर्णकालिक कैसे हो सकती है, लेकिन सम्प्रति कवयित्री ने इस बारे में स्पष्ट कर दी हैं कि प्रेम तो सिर्फ़ प्रेम से प्राप्त होती है, न कि किसी प्रयत्न से । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, प्रेम को आदर्शतम रूप से परिभाषित करती कवयित्री सुश्री मधुलता त्रिपाठी की काबिलेगौर कविता । आइये, इस सुंदर कविता को हम पढ़ ही डालते हैं --


सुश्री मधुलता त्रिपाठी


सुनो....!
प्रेम रेत और जल की भांति है
अगर तेजी से पकड़े --
तो हाथ से छूट जाता है
और --
हथेली सीधी करने पर
तेज हवाएं उड़ा ले जाती है
या नीचे गिर जाता है
प्रेम --
तो प्रेम से मिलता है
यत्न से नहीं
मगर --
प्रेम पाने के बाद 
यत्नपूर्वक बचाना पड़ता है
प्रेम की सार्थकता 
प्रेम करते रहने में है
प्रेम निभाने में है
प्रेम पाने में नहीं ।

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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1 comment:

  1. UnknownFebruary 10, 2019

    Very nyc Didi

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