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8.15.2018

'मिशन इम्पॉसिबल से वापसी इम्पॉसिबल तक'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     15 August     फेसबुक डायरी, समीक्षा     No comments   

आज 15 अगस्त है यानि स्वतंत्रता दिवस । हमारे सभी प्रबुद्धजन पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पाठकों को कुछ पढ़ाने से पहले, MoA कुछ अपनी दास्ताँ लिखने जा रहा है --

आज भरे भीड़ में एक ‪लड़की‬ को देखा ! ये लड़की अमूमन भारतीय लड़की की जैसी दिख रही थी-- उस भीड़ में काफी लड़की थी , लेकिन उस '5'10" वाली लंबी लड़की में आखिर क्या थी कि मैं उसकी ओर खींचा चला जा रहा था ? वो थी तो साधारण घर की पर पहनावा ‪मॉडर्न‬ युगीन लड़की जैसी --काली जीन्स के साथ टॉप पहनी "लंबी नाक-नक्श पर मासूम-सा तिल का दाग लिए,जिसके कारण गोरे चेहरे पर नाजुक मुस्कान के साथ वो काफी प्यारी लग रही थी और मैं खड़े भीड़ में बस उसे निहारे जा रहा था । वो जहाँ-जहाँ जा रही थी मैं उसकी नाजुक क़दमों का पीछा कर रहा था काफी देर तक पीछा करने के बाद वह मुझे काफी गलियों से गुजारते हुए लिए जा रही थी , पर उसे नहीं पता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है ! वो अपनी स्मार्टफोन में कुछ लिखती हुई शायद चैटिंग करती हुए आगे गली में बढ़ी जा रही थी !
वो मुझे ऐसी गलियों में प्रवेश करती दिखी, जहाँ स्लम बच्चे नंगे सूखे रोटी को खा रहे थे मुझे लगा कैसी एरिया में यह रहती है ? इतनी मॉडर्न लड़की, पर मेरा सोचना गलत था वो वहां रुकी नहीं आगे बढ़ती जा रही थी अभी तक मैं उसके पीछे '1 घंटा' गवाँ चूका था वो फिर आगे बढी साथ में मैं भी ! वो चलते जा रही थी बिना थके पर मुझे थका रही थी ।
मैंने भी सोच लिया था इसका घर देखूंगा ही ! वो अब ऐसी एरिया में रुकी जहाँ ‪'‎लोग‬ पानी के लिए झगड़ रहे थे मैंने सोचा कोई ‪सोशल‬ वर्कर होगी इसलिए ऐसी एरिया में है , पर कही वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी बस आगे बढे जा रही थी हालात को देखते हुए मैं भी बढ़ा जा रहा था अब वो ऐसी जगह से जा रही थी जहाँ के रोड का सिचुएशन ,जर्जर था वह कुछ देर रुकी और फिर बढ़ी मैं भी बढ़ा उनकी कदमों के साथ । अब मेरा इम्तेहान देने की शक्ति ख़त्म हो चूका था पिछले 4 घंटे से उस लड़की का पीछा किया जा रहा था और वह भी पैदल ! फिर वह गली की ATM में गयी --पर रूपया नहीं है का बोर्ड टंगी-- उसे दिखाई पड़ गयी । वह मुड़ी और चल दी । मेरा धैर्य का बांध टूट गया और मैंने निश्चय करके उसे टोक दिया , ऐ सुनो ...!!
वो नहीं रुकी क्योंकि शाम के 7 की घन्टी कुछ देर पहले एक एरिया में सुनाई दे चुकी थी।
उसे लगा होगा कही उसके साथ कोई कुछ घटना न हो जाय , इसलिए वो नहीं रुकी ।
फिर हिम्मत करके मैंने कहा , ऐ सुनो.. आपको ही कह रहा हूँ!!
वो रुकी , बोली क्या है ??
मैं अनिश्चय के स्थिति से निकलता , पर दिल की जुबान अपने-आप चल पड़ा ,मैं पिछले ‪4 घंटे‬ से आपका पीछा कर रहा हूँ , पर आप-ऐसी जगह पर से निकल रहे है कि मेरा अब उबकी करने का मन कर रहा , मैंने यह बात एक ही सुर में कह दिया ।
उसने मुझे देखा और हँस पड़ी । मुझे अटपटा लगा ,पर उसकी हंसी दिल में शमाँ गई ।
मैंने पूछा क्यों हंस रही है आप ? 'उसकी जवाब ने मेरे 4घंटे की मेहनत' को चार चाँद लगा दिया , उसने कहा मैंने तुम्हें जान-बूझकर ऐसी एरिया और ऐसी जगह से लाई हूँ??
उस परी जैसी लड़कीे के जवाब ने मेरे 'दिल को और बच्चा' बना दिया ।
मैंने कहा आपने लाया , मैं तो खुद आपके पीछे आया !
कैसे??
कैसे मत पूछों ? मैं बस तुम्हे हालात दिखा रही थी-- 'उदय भारत की'..??
मैंने कहा ऐसी भारत -- जहाँ इतनी गरीबी,भुखमरी,पानी का संकट है , पर आप कौन है ,और मुझे क्यों दिखा रही है ?
उसने कहा , मैं तुम्हारी माँ हूँ !!
मैं पागल हो गया , मैंने कहा मेरी माँ तो घर पर है और आप अभी लगती है मात्र 25 की और बताएगी आप किस तरह से मेरी माँ है ?
उसके जवाब ने मुझे और shoked कर दिया !
मैं पूरे भारत की माँ हूँ ।
मैंने कहा !!
अब आप मुझे इर्रिटेड मत कीजिये ...!!
वो बोली पगले मैं ‪‎भारत‬ माँ हूँ ।
मुझे लगा आज कोई पागल लड़की का क्या मन आ गया ?
मैंने क्यों पीछा किया ??
मैं भी ‪क्वेश्चन‬ पर क्वेश्चन दागे जा रहा था ?
भारत माँ और इतनी मॉडर्न !!
उस का उत्तर सुनने से पहले ‪अलार्म‬ की घंटी बजी और मैं जग गया । आँख खुली तो पाया स्वतंत्रता दिवस अपने 72 वें वसंत में प्रवेश कर गया है ।


अब आप सभी प्रबुद्धजन पाठक भी सपनों के गलियारों से बाहर आ, चलिए पढ़ते हैं सुश्री सुरभि सिंघल की आने वाली दूसरी किताब वापसी इम्पॉसिबल की कुछ झलकियाँ, दूसरी इसलिए क्योंकि इनकी पहली किताब फीवर 104°F पाठकों को काफी पसंद आयी ! हालांकि सुरभि जी की नई किताब से हॉलीवुड फिल्म के नाम की सुगंध आती है, लेकिन यह कहानी हिंदुस्तानी धरती में उपजी प्यार का बखान करती नजर आयेगी, आइये देर न करते हुए, पढ़ ही डालते हैं ---


कहानी में तीन मुख्य किरदारें हैं, जिनमें दो व्यक्ति, एक लड़की पर जान छिड़कते नज़र आते हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से कहानी का पहला किरदार सुरम्या दो लड़कों को एक साथ अपने जीवन मे जगह देती है, लेकिन इस सबसे उबरने और इसका अहसास होने में उसे जितना वक़्त लगता है, तबतक बहुत देर हो चुकी होती है !  

कहानी एक तिराहे पर आ चुकी होती है जिसमें सुरम्या, अनुसार और विशेष अपनी अलग-अलग राहें ले लेते हैं। कुछ मजबूरी और कुछ इस सफर की थकान के चलते ! क्या अब वापसी मुमकिन होती है ? इसपर चर्चित कहानी है वापसी इम्पॉसिबल । 

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।


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