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2.01.2018

'तिरंगा और अभिव्यक्ति की पहचान' (एक कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     01 February     कविता     1 comment   

हम 25 जनवरी को 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' मनाते हैं और 26 जनवरी को हमारा 69 वाँ गणतंत्र दिवस मनाया गया, लेकिन कुछ बरस पहले तक राष्ट्रीय पर्व आते ही दर-दुकानों के रिकॉर्डर या स्पीकर से सप्ताह-दो सप्ताह पहले से ही देशभक्ति-गीत बजने शुरू हो जाते थे । ऐसा अब सुनने को नहीं मिल रहा है । 'विविध भारती' के श्रोता भी ऐसे गीतों की मांग नहीं कर रहे हैं । क्या हो गया है, हमारे श्रोताओं को ? उनमें ओजस्विता की कमी, ऊर्जा का ह्रास किनके कारण है ? जिस भाँति 18 वर्ष होते ही हम अपने को 'मतदाता' होने की दावेदारी पेश करते हैं, उसी भाँति कर्तव्य के बाद ही अधिकार जानने के लिए अपना संविधान को जानना जरुरी होगा, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना ही 'हम भारत के लोग' से शुरू होता है । फिर हमें ऐसे राष्ट्रीय त्योहारों के लिए उत्साहित होने होंगे ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते हैं कवयित्री मंजु गुप्ता की देशभक्ति से ओतप्रोत कविता,आइये पढ़ते हैं ...


कवयित्री मंजु गुप्ता



नव संकल्पों का गणतंत्र दिवस

नव संकल्पों को ले, गणतंत्र दिवस फिर आया है 
लोकतंत्र की राह में झूम रहा तिरंगा प्यारा है 
शहीदी में रंगी भारत माँ तब पायी आजादी 
वीरों की शौर्य गाथाओं से गूँज रही शहनाई।  

सर्वधर्म समभाव की पहचान हमारा तिरंगा है 
विविधता में एकता के तानों में रंगा तिरंगा है 
विश्व बंधुत्व का परचम बन विश्व में लहराता  है 
चक्र गति, विकास का देश को आगे बढ़ा रहा है। 

देश की सुरक्षा पर लग रही है दुश्मनों की सेंध 
संकटों में सूरमा, वीर वैरियों को रहे खदेड़ 
सरहदों के रखवाले देश से अपनी प्रीत निभाते  
अमर जवान ज्योति बन के देशभक्ति को हैं जगाते।  

लोकतंत्र की सौगात में सजा संविधान हमारा है
फर्ज-अधिकारों की माला में गूँथा विधान सारा है 
लेकिन सुलग रही न्यायपालिका अंदर विवादों से 
अभिव्यक्ति हुई शर्मसार गोरी लंकेश की हत्या से। 

देश की अखंडता हेतु सम्मान सभी भाषा का हो 
सभी दिलों में राष्ट्रभाषा हिंदी का विस्तार हो 
सदियों से अंत, नफरत से कब जीती मानवता है 
कबीर की वंशज बन 'मंजु' प्रेम से जोड़े विश्व है।  


नमस्कार दोस्तों ! 

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1 comment:

  1. Manju GuptaFebruary 06, 2018

    आज सुबह देशभक्ति की स्वरचित कविता यहाँ पर पढ़ कर भाव विभोर होगयी . मेरी हर सांस में बसा है मेरा देश भारत . जैसे हर जवान , वीर , बहादुर , सैनिक आखिरी साँस तक अपने वतन की सुरक्षा में अपने प्राणों की बाजी लगा लेता है . उसी तरह अंतिम सांस तक मेरी कलम देशवासियों में राष्ट्रीय चेतना , देश प्रेम , देश भक्ति जगाती रहेगी .


    आभार कविता को स्थान देने के लिए .
    मंजू गुप्ता

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