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5.31.2017

"इस बेवफ़ा ज़िन्दगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो" (बिंदास शायरी)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     31 May     अतिथि कलम     2 comments   

कुँवारी लड़कियाँ हार्ड कॉपी की तरह लगनेवाली उनकी शायरी को स्वयं के दिलरूपी सॉफ्टवेयर में छिपा जाती है । उनका शायराना-अंदाज विवाहिता को भी चिढ़ाती हैं । इस गुल वा उस महफ़िल में जब गूंजने लगती है, उनके शे'र, ग़ज़ल या उस जैसे बिंदास काव्य, तो बेसब्री का कोलाहली-इंतजार भी शांत हो मुँह छुपाये वाह-वाह कर उठते हैं ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पाठकगण पढ़िये-- शायराना-अंदाज के फंतासी-प्रियवर श्रीमान रोहित सचान को----




इस बेवफ़ा ज़िन्दगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

क्यों मरते हो यार किसी के इंतजार में, 
मरना है तो मरो अपनी मां की ममता के प्यार में ।
करो अपनी मां के लिए कुछ ऐसा दोस्तों, 
ताकि दुनिया की हर मां जिए सिर्फ, तुम्हारे ही इंतजार में ।। 

अगर ये गम जिंदगी के लिए-दिए होते हैं, 
तो इनको जलाना सीख लो, 
अपने गमों के दीयों से भरी महफिलों को-- 
जगमगाना सीख लो ।
ना आएगी कभी ये गम-ए-जिंदगी दोस्तों, 
बस ! इस बेवफा जिंदगी में ज़रा मुस्कराना सीख लो ।।


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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2 comments:

  1. vishal singh sachanJune 01, 2017

    Good one...

    ReplyDelete
    Replies
    1. GauravJune 01, 2017

      Not complete yet...

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
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