आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में करते है पॉलिटिक्स सैर , संपादक की जुबानी --
चीन ने पिछले दिनों 'वन बेल्ट,वन रोड' पहल पर चर्चा के लिए 60 से अधिक देशों को आमंत्रित किया था , जिनमें अमेरिका , रूस , तुर्की , भारत आदि शामिल है लेकिन भारत इसमें शामिल नहीं हुआ । चूंकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का OBOR एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसके तहत एशियाई , अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के साथ चीन को सड़क और जलमार्गों को साथ लेते हुए विभिन्न देशों से जोड़ना मुख्य मकसद है । इन मार्गों द्वारा जहाँ चीन अपना 'सस्ता-घटिया' माल सप्लाई करते हुए फायदा उठाना चाहता है वहीं भारत ने इसका विरोध किया क्योंकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरनेवाला 'सीपीइसी' OBOR का ही हिस्सा है और यह भारतीय क्षेत्र से होकर गुजर रहा है , यह हमारे लिए चिंता का विषय है ! वैसे तो भारत ने संप्रभुता का हवाला देते हुए सीपीइसी के पाक-अधिकृत कश्मीर से गुजरने पर आपत्ति जताई है परंतु भारत के विरोध के बावजूद दक्षिण एशियाई देशों ने 'बेल्ट एंड रोड फोरम' में शामिल होना स्वीकार किया है । जहां एक ओर चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर आतंकवादी को बचा रहे है वहीं हमारे पड़ोसी दुश्मन पाकिस्तान का वह कट्टर हिमायती बनकर NSG के लिए रुकावट बन गए है चूंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती है इसलिये यदि चीन अपना फायदा का प्रयास वैश्विक रूप से खोज रहा है,तो भारत का यह कदम एकदम सही है चाहें विशेषज्ञ कुछ भी कहें लेकिन कूटनीति में दोस्ती और दुश्मनी साथ नहीं चलते !
चीन ने पिछले दिनों 'वन बेल्ट,वन रोड' पहल पर चर्चा के लिए 60 से अधिक देशों को आमंत्रित किया था , जिनमें अमेरिका , रूस , तुर्की , भारत आदि शामिल है लेकिन भारत इसमें शामिल नहीं हुआ । चूंकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का OBOR एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसके तहत एशियाई , अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के साथ चीन को सड़क और जलमार्गों को साथ लेते हुए विभिन्न देशों से जोड़ना मुख्य मकसद है । इन मार्गों द्वारा जहाँ चीन अपना 'सस्ता-घटिया' माल सप्लाई करते हुए फायदा उठाना चाहता है वहीं भारत ने इसका विरोध किया क्योंकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरनेवाला 'सीपीइसी' OBOR का ही हिस्सा है और यह भारतीय क्षेत्र से होकर गुजर रहा है , यह हमारे लिए चिंता का विषय है ! वैसे तो भारत ने संप्रभुता का हवाला देते हुए सीपीइसी के पाक-अधिकृत कश्मीर से गुजरने पर आपत्ति जताई है परंतु भारत के विरोध के बावजूद दक्षिण एशियाई देशों ने 'बेल्ट एंड रोड फोरम' में शामिल होना स्वीकार किया है । जहां एक ओर चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर आतंकवादी को बचा रहे है वहीं हमारे पड़ोसी दुश्मन पाकिस्तान का वह कट्टर हिमायती बनकर NSG के लिए रुकावट बन गए है चूंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती है इसलिये यदि चीन अपना फायदा का प्रयास वैश्विक रूप से खोज रहा है,तो भारत का यह कदम एकदम सही है चाहें विशेषज्ञ कुछ भी कहें लेकिन कूटनीति में दोस्ती और दुश्मनी साथ नहीं चलते !
0 comments:
Post a Comment