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5.04.2017

"अपनी जुबान काटकर, फ्रीज़ में रख लेता हूँ" (कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     04 May     कविता     No comments   

पाक के नापाक सैनिकों ने भारत देश के कुछ निहत्थे सैनिकों के साथ क्रूरतापूर्ण, कपटपूर्ण, प्रपंचपूर्ण -जैसे न केवल व्यवहार किया, अपितु अंग-भंग करते हुए जान भी ले लिए । ऐसी अमानवीय व्यवहार एक अपरिचित दुश्मन भी नहीं करता है । पता नहीं, पाकिस्तान में कौन से विचारधारायें -- पुष्पित और पल्लवित हो चुके हैं । भारत की संतान 'पाकिस्तान' ने जन्मकाल से ही नकारात्मकता की खेती ज्यादा ही कर लिए हैं । आज मैसेंजर ऑफ आर्ट लेकर आई है, सम्प्रति विचारधाराओं पर प्रश्नचिह्न लगा चुके कवि बृजमोहन स्वामी 'बैरागी' की दिल की कलम से और स्याही के रुप में खूं की बूंदों से लिखी प्रस्तुत कविता महज़ भावप्रवण ही नहीं, अपितु  काफी रहस्यात्मक भी है, जो कि 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' की याद दिला देता है । तभी तो-- ''.... ऐसे मौकों पर मैं ! अपनी जुबान काटकर फ्रीज़ में रख लेता हूँ" जैसे कवितांश विचारोत्तेजना पैदा करतां है । आइये, पढ़ते हैं:-----



लोग : जो मार दिए गए

हम सब मर जायेंगे
एक दिन !
केवल कुछ गुलमोहर ही बचेंगे,
न दिखने वाली सुंदरता के लिए।

आप उस रात आराम से नही सो सकते !
जब कोई अधनंगा लड़का
आपके कान में आकर कह दे
किउसकी माँ को मार दिया है – 
एक घातक उपन्यास ने !

आप कैसे करवटें बदल सकते हैं ?
आप भी रहते हैं जब, उस शहर में
जिस शहर में
दीवारें आधी रात को और स्याह हो जाती हैं।

कोई भी
तीन शब्दों में उत्तर दे सकता है-- 
मेरे सवालों का।
मैं शहर की तमाम दीवारों को खा जाना चाहता हूँ ?
नोंच लेना चाहता हूँ वो हर बाल,
जो धूप के अलावा और किसी भी तरीके से सफेद हो गया हो ??
मैं समेट लेना चाहता हूँ हर गली मोहल्ला,
अपनी जुबान से ???
(उस तरह से नहीं,
जैसे वोट समेटने के लिए 
तीखी और तेज जुबान चाहिए)

लड़की जैसी शक्ल में एक 'लड़की'
अक्सर आपके सपनो में आती होगी;
उस अधनंगे लड़के की एक बहन भी थी--
उसने आपके कान में यह नही बताया होगा !
कि उसकी बहन भी खा जाना चाहती थी--
शहर की तमाम विचारधाराओं को।

मैंने कुछ डरावना खेल--
देखा था / सपने में।
मैंने कुछ वक़्त सोचा...
कम्बल ओढ़कर चिल्लाऊँ,
किसी पड़ोसी को आवाज़ दूँ,
या फिर दौड़कर उसे पकड़ लूँ जो,
लड़की के बाल पकड़कर हंस रहा है।

लेकिन मुझे पता है--
मेरी गर्दन में एक आठवीं इन्द्रिय भी है,
शायद इसीलिए ही--
ऐसे मौकों पर मैं ! 
अपनी जुबान काटकर
फ्रीज़ में रख लेता हूँ।

मैं आपको--
खुशनसीब समझता हूँ
कि अब तक किसी ने
शब्दभेदी बाण मारकर 
मेरी अभिव्यक्ति नहीं जलाई,
मेरी विचारधारा जलाकर न ही, 
मुझे अंधा किया।

हम कैसे जान पाएंगे
कि विकास की गति 
जन्म लेने के बाद / क्यों शुरू होती है ?
कि उम्र के अनुसार ही
शरीर और दिमाग का विकास क्यों होता है।
आप सब के
गांव या शहर में
आपकी गलियो में,
स्थिर मौसम के उजाले में, 
एक बलात्कार टाइप का माहौल बन सकता है।

सड़क के बीचों-बीच, 
मरे हुए इंसान के चारो ओर 
मरे जानवरों (जिन्दा इंसानों !) की-- 
भीड़ लगते हुए देख सकते हैं ।
बिना टीवी के दिखाई जा सकती है;
एक काली कपड़ों में लिपटी विचारधारा।

बलात्कार के उस वक़्त
मरे हुए दिमाग को, 
खोपड़ी में लेकर कुछ लोग--
एक लड़की के जेहन में / बहुत सारी 
हवस उतार देते हैं
या / उड़ेलते हैं ।

इंसान के दिमाग में कई खाली गर्त्त होते हैं
लेकिन--
उन लोगों के दिमाग में
"एक काला पदार्थ" भर चुका है,
कि जो गर्त्त धातु के ढक्कनों से ढके हैं ।

क्या आप समझ सकते हैं...
कट्टरता का जहर इन गर्त्तों में सड़ता है
और इससे उत्पन्न होती है "जलन",
"हवस की कैद" आदि-इत्यादि ।

वो अधनंगा लड़का
जवान होकर
बांग्लादेश की एक गली में--
एक नाई की दूकान पर / सुनता है--
तसलीमा नसरीन की आवाज़ ।
वो / सुबक-सुबक कर 
अपनी मरी हुई माँ से / पूछ सकता है--
'माँ ! तस्लीमा नसरीन कहाँ गई ?'

कुछ लेखक (लोग ?) सोच सकते हैं--
कि ऊँची आवाज़ में
घातक दनीश्वरों का विरोध किया जाये।
दब जाती है वो / आवाज़,
लेकिन मरती नहीं !
जिन्दा / हो जाती है अक्सर....
नई क्रांति के लिए ।

यह बात आपको उस समय
समझ में नहीं आयेगी,
जब आपकी चमड़ी में 
घातक कट्टरता के लक्षण प्रकट होंगे ।
ऐसे लक्षण / प्रकट होने पर 
इन नस्लों (बच्चों !) की उत्पादकता 
शायद पहले जैसी न रह जाए !

बड़े तुज़ुर्बे.....
या तो मार दिये जाते हैं
या दबा दिए जाते हैं 
पर कुछ लोग / जो 
सच का कलेजा देख लेते हैं ।

लिहाजा ऐसे मौके पर--
जैविक विविधता को बचाएं रखना 
और भी-- 
आवश्यक हो जाता है / क्योंकि 
उसके बिना अगली पीढ़ी मज़े कैसे लेंगे ?
कुछ कटे हुए सर ही बता सकते हैं
कि / एक उपन्यास कैसे ?
जान ले सकता है !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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