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4.04.2017

"ज़िंदगी और चाँद...विश्रामाहसास"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     04 April     कविता     8 comments   

ज़िन्दगी से तात्पर्य चलते रहने से है, वहीं ठहर जाने का मतलब है-- मौत । कई सम्मान से सम्मानित और कई पुरस्कार से पुरस्कृत तथा कई संस्थाओं से जुड़ी एवं अनेक पुस्तकों की रचयिता (रचयित्री !) व बहुमुखी प्रतिभा की बिंदास कवयित्री अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री' की प्रस्तुत कविता 'ठहरा-सा चाँद', जो 'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आज की कड़ी के प्रसंगश: बहुमूल्य रचना है । कवयित्री ने ज़िन्दगी की तुलना चाँद से व चाँद की तुलना ज़िन्दगी से की है । इंसानों की ज़िन्दगी में भाग-दौड़, संघर्ष, रेलमपेल और उधर हर रात्रि अपनी रूपाकार को तब्दील कराते चाँद भी नौकरीशुदा सरकारी कामगारों के 'रविवारीय विश्राम' की तरह , किन्तु 'मासिक विश्रामावस्था यानी अमावस्या' से खिन्न होकर चलते-चलते ठहर गए हैं और इधर इंसान भी रोटी, कपड़ा, मकान छीजते-छीजते इतने थक गए हैं कि जानकारी के लिए कविता पढ़ने ही पड़ेंगे, हमारे प्रतिष्ठित पाठक मित्रों ! तो आइये , इसे हम पढ़ते हैं:--



'ठहरा-सा चाँद'


चमचम-चकमक चमकता, ठहरा -सा चाँद 
देख रहा एकटक,  टुकुर -टुकुर 
शिखर छूती, बुलंद इमारत के पीछे से 
शहर की खलबल , तन -मन की हलचल ! 

हर पल नयी इबारत लिख रहा शहर 
चाँद भी अविरल बांच रहा ये आखर 
बदलते दिन -रात ,शाम-ओ- सहर,आठ पहर 
मशीन होती धड़कनों पर भी है नज़र !

रोटी,कपड़ा व मकान में जुटा
आदमी प्रकृति की मधुर पनाह से छूटा 
डिजिटल लाइफ ने चाँद को भी  आ घेरा
अब गीतों में भी दुनियावी बातें 
कहाँ रहा चाँद औ' चांदनी रातों का डेरा 
कवि की कल्पनाओं का सफ़र भी 
ठहर गया सम्मान और पैसों पर आकर !

चाँद से रोशन रातें, 
चारु चंद्र की चंचल बातें  
उस उजास का  बनें  हमसफ़र 
कल-कल सी ज़िंदगी में
नहीं  है दो पल , मगर 
साक्षी  है चाँद, पशेमाँ 
वक़्त तो बढ़ता गया, पर -
ख़ुद में सिमट गया इन्सां !
उधर ठहरा-सा चाँद !!
                


नमस्कार दोस्तों ! 



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8 comments:

  1. vrindaApril 04, 2017

    बधाई अच्छी रचना के लिए

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनुपमा श्रीवास्तव"अनुश्री"April 04, 2017

      thax ..

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  2. UnknownApril 04, 2017

    बहुत ही प्यारी रचनाएँ लिखी है,बधाई हो।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनुपमा श्रीवास्तव"अनुश्री"April 04, 2017

      shukria ji.....

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  3. shashi bansalApril 04, 2017

    बहुत सुन्दर भावप्रवण रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनुपमा श्रीवास्तव"अनुश्री"April 04, 2017

      shukriya shashi ji.....

      Delete
      Replies
        Reply
    2. Reply
  4. UnknownApril 15, 2017

    बहुत खूब

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
  5. UnknownApril 15, 2017

    बहुत खूब

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
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