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4.13.2017

चाय चुस्कते-चुस्कते फिर भी कहते- मेरा भारत महान !

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     13 April     कविता     No comments   

                    चाय चुस्कते-चुस्कते फिर भी कहते- मेरा भारत महान !

संविधान विशेषज्ञ के जन्मदिवस पर बधाई,
तुम-सा मिला न कोई, कविता दिल से आई!
कभी वेमुला, कभी JNU औ' NIT मामला,
सोने की चिड़िया, कहाँ है, ला-ला-ला लाला!

कोई न देखें, बस "अवॉर्ड" लौटावे,
और कहत हम कि 'राइटर' कहलावे।
तब याद आवे 'वोट बैंक' की खातिर,
दलित का जन्मदिन, सिरफ़ वोट खातिर।


ऐसे है संविधान विशेषज्ञ का जन्मदिवस,
वैसे लोग याद कर रहे इन्हें, फख़त भूलवश ।
डाक टिकटों में "सिमटी" है इनकी दुनिया,
कुछ पैसे से 20 रुपये में बिकने को आया।

सरकारी महकमे में, "मोहर" की मार खाकर,
तो कभी "स्पीड पोस्ट" के धक्के जो खाकर।
"देशभक्तों" की 'ज़िन्दगी' में, ऐसे हैं आंबेडकर महान,
चाय चुस्कते-चुस्कते फिर भी कहते- मेरा भारत महान !

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
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