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1.29.2017

'इतिहास की बकौल-कथा'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     29 January     कविता     No comments   

दुनिया में हवा व वायु व पवन व समीर को संदेशों का माध्यम कहा गया है, प्रेम का सन्देश व पैगाम 'हवा' माध्यम के सहारे ढाई आखर लिए वैश्विक-तापमान को समेटे एवम् सहेजे हैं कि प्रेमिका की 'मन की बात', ( PM UNCLE की मन की बात नहीं !) प्रेमी के पास हवा से गुटरगूँ किये व प्रेमाभाष तक पलक झपकते ही पहुँच जाता है  ! आज मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट लेकर आई है -- ऐसा क्या देखी 'इतिहास-विषय' की व्याख्याता डॉ. मेघना शर्मा ने कि इतिहास की लेखनी से वे यहां लाकर यू शर्मा गयी है, जो 'हवाओं का स्पंदन' ने उन्हें कुछ याद में भी नहीं दे गयी, आइये पढ़ते हैं:-




'इतिहास की बकौल-कथा'

"स्पंदन-सा वो"
_____________

बैरी हवा उड़ा जाती है आंचल
जब कभी उसका संदेश 
होता है खुशबू की तरह
कण कण में शामिल
पंखुडियों से खुलते ओठ 
रह-रहकर देने लगते हैं 
उसकी दुहाई
सितारों से होती है फिर 
शिकायत भी ऐसे में
कि क्यों छा जाते हैं रोज रोज
अनंत आकाश और दिलाते हैं
याद उसकी
कभी पड़ौसी की छत से 
झाँकते चेहरों की रंगत में
नजर आ जाता है अक्स उसका
और फिर देती है तसल्ली
हृदय को मनश्च-नैनों से 
यह कहकर कि वो यहीं हैं 
कहीं आसपास
मेरे घर की गली से गुजरती
हवाओं में शामिल
या बगल वाली कोठी के
रोशनदान से आती 
संगीत की स्वर लहरी
और तब हो जाती हूँ मैं
पूरी तरह आश्वस्त
कि वो दूर नही मुझसे
शामिल है नस नस में
कभी साँसों में
कभी लहू में 
कभी धड़कनों में
तो कभी स्पन्दनों में
हां शामिल है वो मुझमें 
हर पल, हर क्षण
स्वतंत्र, सार्थक, संपूर्ण 
और अपने में ही विलीन !


नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email - messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।

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