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4.14.2022

'चुप थे तुम...'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     14 April     कविता     No comments   

आइये, मैसेंजर ऑफ़ आर्ट में पढ़ते हैं, सुश्री अनुलता राज नायर की हृदयस्पर्शी कविता.......

सुश्री अनुलता राज नायर

चुप थे तुम
जब पूछा था लोगों ने
मेरा तुम्हारा रिश्ता

चुप लगा जाते हैं लोग
अक्सर यूँ ही
कि वो एक सुरक्षा कवच है उनका !

गूंगी हो जाती है रात
जब चीखती है कोई बेबस 
चुप रहता है समाज
सिसकियाँ सुन कर भी !

बादलों के फट जाने पर
सवाल करती हैं लाशें
और मौन रहता है आसमान ।

खामोश रहते वृक्ष
पत्तों को तजने के बाद,
अनसुना करते हैं
चरमराते,सरसराते सूखे पत्तों की चीख।

रिश्तों पर लगी घुन है
ख़ामोशी
चुप्पी लील जाती है
मन का विश्वास

चुप रह जाता है प्रेम
जब वो प्रेम नहीं रहता !

नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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