आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट की टटका कड़ी में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी मतवाली योगी की अद्भुत समीक्षा.......
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फ़ोटो साभार- गूगल |
प्रेमचंद की कहानी 'मतवाली योगिनी' !
योगिनी तो योग की अवतारी देवी हैं, आखिर वे मतवाली कैसे और क्योंकर हैं ? क्या प्रेमी युगल को लेकर एक-दूजे से प्रेम की पूर्णता नहीं होने पर व उनकी अप्राप्ति की स्थिति में यानी प्रेम नहीं मिलने से लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं ? ऐसा है, तो उस काल के अधिकांश लोग संन्यासी ही बन जाते ? ....परंतु ऐसा नहीं हुआ !
फिर यह कहानी सार्थक कैसे है ? क्या यह कहानी कथा लेखक के किसी उपन्यास का अंशमात्र है ? ऐसा प्रतीत हो रहा है !
जो भी हो, प्रेमचंद रचित 'मतवाली योगिनी' ऐसी कथा है, जो प्रेम की पूर्णता को तय नहीं करती है। यह प्रेम को पूर्णतया परिभाषित भी नहीं कर पाती है, क्योंकि प्रेम न मिलने पर बहुत कम लोग ही संन्यास लेते हैं, कुछ ही त्याग करते हैं, अधिकांश तो बदले की भावना में जलते-भूनते रहते हैं !
नमस्कार दोस्तों !
'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं। इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
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