आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं, उपन्यास वेंटिलेटर इश्क़ के लेखक द्वारा समीक्षित कथासम्राट प्रेमचंद की कहानी सौत की लघु प्रेरक समीक्षा.......
क्या शादी ही सबकुछ है ? क्या औरत सिर्फ बच्चे पैदा करने की मशीन भर हैं ? क्या कहानी का मतलब केवल सांसारिक दुःखयारी लीलाओं को लोगों के समक्ष लाना भर है ?
जो भी हो, पर कहानी 'सौत' शायदतन प्रेमचंद की ज़िंदगानी है, जो कि स्त्रियों की व्यथा को बताती है और बताते-बताते मर्द को 'वासनामयी' बनाकर ही दम लेती हैं...परंतु क्या हर मर्द वासनामयी होते हैं ?
काश ! इस प्रश्न का उत्तर प्रेमचंद दे पाते...
नमस्कार दोस्तों !
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