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4.12.2020

'जब तुम नहीं आते...' [कविता]

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     12 April     कविता     No comments   

ज़िंदगी में बहुत ही उलझाव है ! आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं ज़िंदगी के कुछ रहस्यों को सुश्री प्रतिभा जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अनुपमेय कविता के माध्यम से.....
कवयित्री प्रतिभा
जब तुम नहीं आते

जब तुम नहीं आते
तब भी तुम आते हो
मुझमें समा जाते हो

जब तुम नहीं आते
आँसू आते हैं
याद आती है
फरियाद आती है

जब तुम नहीं आते
मेरे सारे शब्द 
खामोशी से टकराकर 
लौट आते हैं

जब तुम नहीं आते
अधीरता आती है
डर आता है
उदासी आती है

जब तुम नहीं आते
मैं आती हूँ
और
बिखर जाती हूँ

जब तुम नहीं आते
वक्त आता है तुम्हारे बगौर
लौटा देती हूँ उसे ये कहकर
कि मैं हूँ ही नहीं कहीं

जब तुम नहीं आते
आना होता है 
तुम्हारे पास मुझे 
मगर
कहीं और जा रही होती हूँ
जहाँ नहीं जाना होता है मुझे

जब तुम नहीं आते
ख्वाब आते तो हैं पर
नींद नहीं आती

जब तुम नहीं आते
ऐहसास आते तो हैं
पर शब्द नहीं आते

जब तुम नहीं आते
सभी रंग दिखते हैं मगर
सफे़द रंग मेरा
गुम हो जाता है 

जब तुम नहीं आते
हम एक से दो हो जाते है
जब तुम नहीं आते
यकीन नहीं होता मुझे
मेरी प्रतिभा होने पर

जब तुम नहीं आते
सच खो जाता है मेरा
जब कि मै जानती हूँ
प्रतिभा कायम है

यहाँ न मैं हूँ न तुम हो
तेरे होने से मैं हूँ
मेरे होने से तुम हो...!

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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