MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

4.20.2020

'सजती-सँवरती है औरत' [कविता]

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     20 April     कविता     No comments   

महिलाओं को समझना आसान नहीं हैं ! आइये, मैसेंजर ऑफ आर्ट में जानते हैं, महिलाओं के बारे में सुश्री आकांक्षा प्रिया जी के फ़ेसबुक वॉल से साभार ली गयी अनुपमेय कविता के माध्यम से....
सुश्री आकांक्षा प्रिया
'सजती-सँवरती है औरत'

सजती-सँवरती है 
औरत
मगर कुछ का संवरना
जल्द ही बदल जाता है
झुर्रियों में !

जवाँ होती है जब,
हरा देती है समय को
नहीं चला पाता जीजिविषा के चेहरे पर
काल अपना हल !

तब दिल पर कब्ज़ा जमाता है
जीने की हर उमंग में घोल देता है वह
उपेक्षा का विष !

और फिर उम्र से कम होकर भी 
चिंताओं में घुलती जाती है जीवेषणा
झुर्रियां ही तब बयाँ करती हैं सच
सुख-दुख का अंदाजा 
लगता है चेहरे की सिलवटों से
हमउम्र होती है पत्नी फिर भी
जाने कितनी बूढ़ी दिखने लगती है
पति की अपेक्षा !

खुद के दु:ख-दर्द को छुपाकर
मायके ससुराल के संघर्ष से लेकर 
बच्चों के लालन-पालन से शुरू हो
शादी-ब्याह की जिम्मेदारी
फिर बँटवारे की कहानी
सब बयाँ कर जाती हैं झुर्रियां !

कुछ जिंदगियों को शब्द नहीं
झुर्रियां ही कर सकती हैं बयाँ
बस 
सीखनी होती है झुर्रियों की भाषा
सब पढ़ भी तो नहीं सकते !

तजुर्बों की पोटली होती हैं ये
चेहरे की आड़ी तिरछी रेखाएं
जो खिलता चेहरा ही कई बार 
जीते-जी मरने लगता है
जब वेवक्त ही सुंदर रूप 
झूर्रियों से भरने लगता है !

जिन औरतों को
आजादी नहीं होती 
अपनी दास्तान बयां कर सकने की
उम्र के अंतिम पड़ाव पर उनकी कहानी 
बयाँ करती हैं झुर्रियां !


नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART