MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

5.16.2019

"बिखरते रिश्ते हो या कागज, समेटने के लिए 'अहसास' होने चाहिए" (कवयित्री मधुलता त्रिपाठी की कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     16 May     कविता     No comments   

हर चीजों की किसी एक से तुलना नहीं की जा सकती है और तो और इनमें मानवीय 'अवस्थाएँ' भी शामिल हैं, जिनमें 'अहसास' (एहसास !) भी शामिल है। अहसास स्वयं में अप्रतिम अवस्था है । हम बिखरते परिवार में 'अहसास' लाकर ही उसे जोड़ सकते हैं, बिखरते रिश्ते को सहेजना किसी कागज के टुकड़े को समेटने जैसे नहीं है, अपितु निर्जीव और सजीव संज्ञा के प्रसंगश: यह दोनों स्थितियाँ भिन्नता लिए होती है । कुछ ऐसी ही मीमांसा को लेकर एक कविता प्रस्तुत है । आइये, आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं सुश्री मधुलता त्रिपाठी की कविता...


सुश्री मधुलता त्रिपाठी

वो एहसास का कागज 
जिसे --
बंद कर रखा था
दिल के संदूक में
ना जाने कौन 
उसका
ताला तोड़ आया था
आज --
जब घर पहुँची
तो देखा
सब कागज बिखरे पड़े थे
अब तुम्हीं बताओ
ये अश्क कैसे रुके
इतनी जल्दी
आखिर --
बिखरे एहसासों के कागज
समेटने में
वक्त तो लगता ही है ।

नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email-messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART