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3.30.2019

'इनबॉक्स इंटरव्यू' में आइये पढ़ते हैं, हिंदी और उर्दू की कवयित्री कुमारी निधि चौधरी को और होते हैं रूबरू, उन्हीं की जुबानी....

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     30 March     इनबॉक्स इंटरव्यू     No comments   

बालवयी अवस्था बिल्कुल अबूझ होती हैं ! पढ़ना तो ना बाबा ना-ना ! किन्तु सिर्फ़ 7 वर्ष की आयु में सुषमा वर्मा मैट्रिक उत्तीर्ण कर जाती हैं, तो सौरभ 12 वर्ष की आयु में आईआईटीयन ! इतना ही नहीं, 16 की आयु में तथागत अवतार तुलसी UGC-NET परीक्षा निकाल लेता है, वहीं 17 की उम्र में बाल मुरली अम्बाटी MBBS ही नहीं, MS हो जाता है, वो भी अमेरिकी विश्वविद्यालय से ! जब मैं 4 वर्ष से भी कम का था, तो मेरी पहली लघुकथा-पुस्तिका प्रकाशित हो गयी थी, घर-परिवार का साहित्यिक माहौल पाकर मेरी रुचि इसी में रमकर इसे ही व्यसन में ढालती चली गयी ! यही साहित्यिक-प्रेम पुनः जानने व समझने को मिला, प्रत्येक माह 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' में प्रकाशित होनेवाली 'इनबॉक्स इंटरव्यू' के लिए कवयित्री और शिक्षिका कुमारी निधि चौधरी से साक्षात्कार लेते समय ! जो यह कहती हैं कि साहित्य से उनकी आत्मिक लगाव है । हिंदी के साथ-साथ उर्दू भाषा और साहित्य में भी निधि जी की पकड़ है ! हालाँकि, देश की आजादी से पहले हिन्दू धर्मावलम्बी भी उर्दू पढ़ते थे, लेकिन आजादी के बाद और उसके बाद के वर्षों में उर्दू को मुस्लिमों की भाषा के रूप में अभिहित किया जाने लगा ! जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना आदि राज्यों को छोड़कर हिन्दूओं में उर्दू-भाषियों की संख्या दशमलव में आ गयी, बावजूद कुमारी निधि चौधरी और उनकी बहन की बात और परहितसुखाय-जिद निराली ही कही जाएगी ! भूमिका को यहीं सीमित करते हुए मैसेंजर ऑफ आर्ट के इनबॉक्स इंटरव्यू में आज हमारे आदरणीय पाठकगण रूबरू होने जा रहे हैं, हिंदी और उर्दू की कवयित्री और पेशे से बच्चों की शिक्षिका कुमारी निधि चौधरी से ! आइये, हम पढ़ते हैं उन्हें, जो हमारे 14 गझिन सवालों को बिल्कुल ही सरलता और सहजता से उत्तर दी हैं......


शिक्षिका कुमारी निधि चौधरी


1.)आपके कार्यों को इंटरनेट / सोशल मीडिया / प्रिंट मीडिया के माध्यम से जाना । इन कार्यों अथवा कार्यक्षेत्र  के आईडिया-संबंधी 'ड्राफ्ट' को  सुस्पष्ट कीजिये ? 

उ:-
मैं अपने को काफी खुशकिस्मत मानती हूँ। मुझे बच्चों के साथ रहना पसंद है और मेरी रुचि के अनुसार ही मेरा काम भी है। मैं सरकारी विद्यालय में पढ़ाती हूँ व साहित्य जगत से बचपन से ही आत्मिक रूप से जुड़ी रही हूँ !

प्र.(2.)आप किसतरह के पृष्ठभूमि से आये हैं ? बतायें कि यह आपके इन उपलब्धियों तक लाने में किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?

उ:-
मैं एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की देहाती लड़की हूँ और मध्यम वर्गीय परिवार से आती हूँ। बचपन से ही हम दोनों बहनों को पिता ने बेटों से ज़्यादा प्यार दिया, आज़ादी दी। 

प्र.(3.)आपका जो कार्यक्षेत्र है, इनसे आमलोग किसतरह से इंस्पायर अथवा  लाभान्वित हो सकते हैं ?

उ:-
जहाँ तक साहित्य की बात है, मैंने कई घटनाओं पर कविताएं लिखी हैं । नारी उत्थान पर भी लिखा है।

प्र.(4.)आपके कार्य में आये जिन रूकावटों,बाधाओं या परेशानियों से आप या संगठन रू-ब-रू हुए, उनमें से दो उद्धरण दें ?

उ:- 
मेरी रचनाएँ हिंदी और उर्दू दोनों बहनों के पैरों को स्पर्श करती हुई गुजरती है, पर कुछ लोग अक्सर मेरे उर्दू लिखने पर व्यंग्य कसते हैं, उन सबको दरकिनार करती हुई मैंने कलम को लिखने के लिए रोकी कभी नहीं !

प्र.(5.)अपने कार्य क्षेत्र के लिए क्या आपको आर्थिक दिक्कतों से दो-चार होना पड़ा अथवा आर्थिक दिग्भ्रमित के तो शिकार न हुए ? अगर हाँ, तो इनसे पार कैसे पाये ?  

उ:-
आर्थिक परेशानी कभी नहीं हुई।

प्र.(6.)आपने यही क्षेत्र क्यों चुना ? आपके पारिवारिक सदस्य क्या इस कार्य से संतुष्ट थे या उनसबों ने राहें अलग पकड़ ली !

उ:- 
इस क्षेत्र से मेरा आत्मिक लगाव है । मेरे परिवारवालों ने हमेशा मेरा साथ दिया है।

प्र.(7.)आपके इस विस्तृत-फलकीय कार्य के सहयोगी कौन-कौन हैं ? यह सभी सम्बन्ध से हैं या इतर हैं !

उ:- 
एक खूबसूरत प्यार का एहसास, जो मुझे अपनों से मिला है।

प्र.(8.)आपके कार्य से भारतीय संस्कृति कितनी प्रभावित होती हैं ? इससे अपनी संस्कृति कितनी अक्षुण्ण रह सकती हैं अथवा संस्कृति पर चोट पहुँचाने के कोई वजह ?



उ:-
भारतीय संस्कृति को हमें ही मिलकर आगे बढ़ाना है, इनसे संबंधित कई रचनाएँ हैं मेरी।

प्र.(9.)भ्रष्टाचारमुक्त समाज और राष्ट्र बनाने में आप और आपके कार्य कितने कारगर साबित हो सकते हैं !

उ:- 
यह तो मेरे पाठक बता सकतें हैं।

प्र.(10.)इस कार्य के लिए आपको कभी आर्थिक मुरब्बे से इतर किसी प्रकार के सहयोग मिले या नहीं ? अगर हाँ, तो संक्षिप्त में बताइये ।

उ:-
नहीं ! अबतक नहीं । कभी नहीं ।

प्र.(11.)आपके कार्य क्षेत्र के कोई दोष या विसंगतियाँ, जिनसे आपको कभी  धोखा, केस या मुकद्दमे की परेशानियां झेलने पड़े हों ?

उ:- 
महादेव की कृपा से अभी तक नहीं !

प्र.(12.)कोई किताब या पम्फलेट जो इस सम्बन्ध में प्रकाशित हों, तो बताएँगे ?

उ:- 
मेरी एकल काव्य संग्रह " प्रेम विरह में आलोकित",
साझा संग्रह "लफ़्ज़ों के रंग" प्रकाशित है ।

प्र.(13.)इस कार्यक्षेत्र के माध्यम से आपको कौन-कौन से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, बताएँगे ?



उ:- 
प्रयागराज में सम्मानित हुई हूँ और स्थानीय विधायक द्वारा भी सम्मानित की गई हूँ तथा महामहिम राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के बधाई पत्र भी मुझे प्राप्त हुई हैं ।

प्र.(14.)आपके कार्य मूलतः कहाँ से संचालित हो रहे हैं तथा इसके विस्तार हेतु आप समाज और राष्ट्र को क्या सन्देश देना चाहेंगे ? 

उ:- 
सोशल मीडिया में मेरे द्वारा किये कार्यों को दोस्तों ने बहुत सराहा है। मैं लोगों से बस यही कहना चाहती हूँ कि व्यवहार कुशल बनें। एक दूसरे से प्रेम से रहें, बिना किसी जाति, धर्म, भेदभाव के !  ..... और मानवता की सेवा में तल्लीन रहें।




  "आप यूं ही हँसती रहें, मुस्कराती रहें, स्वस्थ रहें, सानन्द रहें "..... 'मैसेंजर ऑफ ऑर्ट' की ओर से सहस्रशः शुभ मंगलकामनाएँ !


नमस्कार दोस्तों !

मैसेंजर ऑफ़ आर्ट' में आपने 'इनबॉक्स इंटरव्यू' पढ़ा । आपसे समीक्षा की अपेक्षा है, तथापि आप स्वयं या आपके नज़र में इसतरह के कोई भी तंत्र के गण हो, तो  हम इस इंटरव्यू के आगामी कड़ी में जरूर जगह देंगे, बशर्ते वे हमारे 14 गझिन सवालों  के सत्य, तथ्य और तर्कपूर्ण जवाब दे सके !

हमारा email है:- messengerofart94@gmail.com

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