MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

2.17.2019

एक पड़ोसी देश के बढ़ते जा रहे कुकारनामे (लघु आलेख)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     17 February     मन की बात     No comments   

मित्र बदल सकते हैं, किन्तु पड़ोसी बदले नहीं जाते ! किन्तु यह पड़ोसी देश बदलने के लिए ही हुए हैं ! जैसे 1971 में पूर्वी पाकिस्तान 'बांग्लादेश' बन गया । जिनके असंख्य कुकारनामे के कारण अब उनका नाम तक लेना मुझे पसंद नहीं है, क्योंकि इस धर्मांध देश ने 'प्रेम दिवस' यानी 14 फरवरी 2019 के दिन ही जम्मू-कश्मीर (पुलवामा )में फिदायीन आतंकी हमला करवा डाले, जिससे भारत के अर्द्ध सैनिक बल यानी  CRPF के 40 से अधिक सपूत शहीद हो गये । गुस्सा हम सभी देशवासियों के अंदर समा गई है। आइये, पढ़ते हैं, 'मैसेंजर ऑफ आर्ट' की खास रिपोर्ताजयुक्त लघु आलेख.....




कैसी मक्कारी है तुम्हारी ? सिर्फ अच्छे-अच्छे नाम ही रखते हो.... पाक..... शरीफ...... परंतु  'कृत्य' अपनी माँ को भी तुम नहीं छोड़ते । भारत माँ हैं, तुम्हारे । तुम्हें पता होना चाहिए । तुम उनकी कोख़ से निकले हो । विगत साल उड़ी में 17 भारतीयों को मार गिराया और अब पुलवामा में ! जरा भी नहीं सोचा कि 55 करोड़ रुपये माँ ने सिर्फ तुम्हारे डायफर बदलने में खर्च कर दी । 

अपना तो कुछ कमाते-धमाते नहीं ! नेपकीन तक खरीदने के लिए तुम चीन और अमेरिका की तरफ मुँह बाये रहते हो ! अरे भीख क्यों माँगते हो तुम ? तुम अपनी माँ भारत से खाने को माँगो । पर तुम ऐसा तो करोगे नहीं, माँ के मस्तक माँगोगे... कश्मीर-कश्मीर चिल्लाओगे । बपौती और जागीर की परिभाषा जानते हो, पढ़ने पर ध्यान लगाओ, क्योंकि कोई रिप्यूटेशन नहीं है तुम्हारे, इस दुनिया में ! 

वास्तव में, हम सभी भारतीयों का सीना 56 इंच का है, धोखेबाजी कर मार देने से या पीठ पर गोली चला देने से तुम्हारा कायराना कारनामे की सिर्फ पब्लिसिटी होती है, अन्यार्थ नहीं ! हमने अपना सीना गोली खाने के लिए नहीं बनाया है, तुम्हें उनमें समाने को बनाया है । 

हमलोग 'बर्थडे पर दुश्मन' देश जाकर 'विश' जब करके आ सकते हैं, तो 'कफ़न' तुम्हारे लिए तैयार करने में हमें वक़्त ही कितना लगेगा ? बेवकूफ हो 'तुमलोग', नार्थ कोरिया की तरह, क्योंकि तुम्हें यह पता नहीं है कि कोई हथियार या बम किसी देश को नष्ट नहीं करता है, अपितु मानवता को समाप्त करता है ।

-- प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
  • 'कोरों के काजल में...'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART