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1.04.2019

"हृदय में थोड़ी-सी टीस, हमने ही चुभाए हैं इसे" (कवयित्री गीता प्रजापति की एक बेहतरीन कविता)

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     04 January     कविता     1 comment   

नए साल नई-नई खुशियाँ तो लाती ही है, किन्तु पुराने गम भी उखाड़ लाती हैं ! तभी तो 2018 का वर्षान्त दुःख देकर चली गई । हाँ, भारतीय सिनेमा के दो बड़े विभूति मृणाल सेन और कादर खान पार्थिव दुनिया को अलविदा कह गए, तो किसी के पास अनन्य और अनंत खुशियाँ भी आई ! आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में बिल्कुल टटका वर्ष 2019 की हम शुरूआत कर रहे हैं, सुखमय ज़िंदगानी में अनायास आई गमसिक्त कविता से, जिसे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा और साहित्य की शोध-छात्रा सुश्री गीता प्रजापति ने लिपिबद्ध की है । तो, आइये इसे पढ़ते हैं....


सुश्री गीता प्रजापति


एक कड़ी तुझसे मिलाकर,
दूसरी कड़ी मैं भूल गई,
आज आयी थी रह-रहकर,
हृदय में थोड़ी-सी टीस,
मालूम होता है हमने ही
चुभाए हैं इसे
इसकी यादें जोरों से,
पस्त खाई और भक्क से,
ढह गई यादों की याद...
अब अगली कड़ी मिलेगी कहाँ ?
अब अगली कड़ी खुलेगी कहाँ ?
कि सभी बंधन जो इसने तोड़ फेंके,
पहर दो पहर 
नींद की झोंकों में 
टूटी कड़ी...!

नमस्कार दोस्तों ! 

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    1 comment:

    1. UnknownJanuary 08, 2019

      One day the sky will be under her foot

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