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9.01.2018

'समय के साथ इंसान बदल जाते हैं'

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     01 September     कविता, फेसबुक डायरी     1 comment   

दोस्तों ! हाल-फिलहाल यूट्यूब पर किसी यूजर (यूरेका-यूरेका ) ने लिखा था --
जब भी कोई नकारात्मक सोच हावी हो, तो अपने से कमजोर पक्ष वालों को भी देख लें और यह सोचें कि हम तो उन कमजोर पक्ष वालों से काफी आगे हैं । यूजर यूरेका जी आगे लिखते हैं --
बात उस समय की है, जब मैं ऑटो स्टैंड में गाँव जाने वाले ऑटो पर बैठा हुआ था । आधा घंटे से ऊपर हो गया था, लेकिन ऑटो वाला भइया ऑटो खोल नहीं रहे थे ।
मैंने कहा भइया चलिए अब काफी देर हो चुकी है और आगे वाली ऑटो भी निकल चुकी है ।
तो जानते हैं-- दोस्तों !!
ऑटो वाला भइया ने क्या कहा ?
दोस्तों ! उन्होंने एक ऐसा वाक्य कहा, जिसके बाद शायद ही नकारात्मक विचार किसी पर हावी हो ...!
उन्होंने कहा --'भैया, आप आगे वाले ऑटो को देखकर कह रहे हैं कि वह निकल गयी, लेकिन आपने कभी पीछे वाले ऑटो के बारे में सोचा है कि वह इस रेस में कितना पीछे हैं ।'
इतना कहने के बाद उस ऑटो वाले भइया ने ऑटो स्टार्ट की और चल पड़ी गाँव की ओर ।
तो दोस्तों यदि एक बार सफल नहीं हुए तो अगली बार के लिए ट्राय करें, अगर अगली बार नहीं, तो फिर अगली बार, लेकिन रुकना नहीं है दोस्तों क्योंकि भगवान बुद्ध ने कहा है --'स्मरण के लिए न दोहराना धब्बा है।'
आज मैसेंजर ऑफ आर्ट में पढ़ते हैं श्रीमान रोहित सचान की सच के करीब से गुजरती, कुछ नज्में, आइये पढ़ते हैं -----

श्रीमान रोहित सचान

शायराना अंदाज, रोहित सचान के साथ


वक्त के साथ हालात बदल जाते हैं, रिश्तों के साथ संस्कार बदल जाते हैं,
हम तो उस दौर से गुजरे हैं दोस्तों, जहां पल दो पल में जज्बात बदल जाते हैं ।


😘😘

वक्त को आखिर किसी के इंतजार का नजराना मिल गया,
दिल को भी फिर से यूं धड़कने का बहाना मिल गया,
दोस्तों, नहीं होता कोई ठिकाना कभी नफरतों का इस मोहब्बत के दौर में,
शायद, तभी एक प्यार का आखरी परवाना मिल गया ।

💝💝


कब मौत आती है, कब हम इंतजार करते हैं,
मौत से कभी हम, तो ना जाने कितने दो-दो हाथ चार करते हैं,
ओ ! मालिक, जब बुलाना ही था तो फिर यह नाटक कैसा ?
हम इंसानों के साथ, फिर क्यों यह सब खिलवाड़ करते हैं,
जितनी मोहब्बत आपसे है, अपनों से भी है,
तो फिर क्यों अपनों को, हमसे यू छीनने का बेहूदा प्रयास करते हैं,
अगर कुछ हुई हो गलती, तो माफ करना उन दिव्य आत्माओं को,
हम तो बस आपसे एक यही आखरी फरियाद करते हैं ।



नमस्कार दोस्तों ! 

'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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1 comment:

  1. UnknownAugust 09, 2019

    Nice

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