"क्या वो सचमुच 'भारत माता' थी !" (लघु प्रेरक कथा)
आज भारी भीड़ में एक युवती की ओर आकर्षित हुआ ! यह युवती भारतीय लड़की-सी दिख रही थी, हालाँकि उस भीड़ में काफी लड़की थी, लेकिन उस 5'10" ऊँची-लंबी युवती में आखिर क्या थी कि मैं उनकी ओर खींचा चला जा रहा था ? वो लगती थी, तो साधारण घर की ! परन्तु पहनावा मॉडर्न युगीन लड़की जैसी-- काली जीन्स के साथ टॉप, लंबी नाक-नक्श पर मासूम-सा तिल, जिसके कारण गोरे चेहरे पर नाजुक मुस्कान के साथ वो काफी प्यारी लग रही थी और मैं खड़े भीड़ में बस उसे निहारे जा रहा था । वो जहाँ-जहाँ जा रही थी मैं उसकी नाजुक क़दमों के टापों से कुछ दूरी लिए पीछा कर रहा था । काफी देर तक पीछा करने के बाद वह मुझे कई घुमावदार गलियों से घुमाते हुए लिए जा रही थी , पर उसे यह नहीं पता था कि कोई उनकी पीछे लगा है ! वो अपनी स्मार्टफोन पर कुछ टाइप करती हुई , शायद चैटिंग करती हुए आगे गली में आगे बढ़ी चली जा रही थी !
वो मुझे ऐसी गलियों में प्रवेश करायी, जहाँ स्लम बच्चे नग्न-धड़ंग हो सूखी रोटी को खा रहे थे । मुझे लगा 'कैसी' एरिया में वह रहती है ? इतनी मॉडर्न लड़की ! पर मेरा सोचना गलत था, क्योंकि वो वहां रुकी नहीं , आगे बढ़ती चली जाती रही । अभी तक मैं उसके पीछे चल अपना कीमती एक घंटा गँवा चुका था, वो फिर आगे बढ़ी, मैं भी साथ हो ली ! वो चलती चली जा रही थी, बिना रुके-थके अनवरत चली जा रही, मुझे थकाए हुए !
मैंने भी सोच लिया था कि इस मॉडर्न लड़की का घर देखकर रहूँगा अवश्य ही ! वो अब ऐसी एरिया में रुकी, जहाँ लोग पानी के लिए झगड़ रहे थे । मैंने सोचा कोई 'सोशल वर्कर' होगी, इसलिए ऐसी एरिया में आ रुकी है , पर कहीं से भी वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी , बस आगे बढ़े जा रही थी । हालात को देखते हुए मैं भी बढ़ा चला जा रहा था । अब वो ऐसी जगह से जा रही थी, जहाँ के सड़क का सिचुएशन 'जर्जर' था, वह कुछ देर के लिए वहाँ रुकी और फिर आगे बढ़ी, मैं भी बढ़ा उनकी पदचापों के मौन-सहारे । अब मुझमें इसतरह से पीछा करने की शक्ति शेष नहीं रह गया था, क्योंकि मैं पिछले 4 घंटे से उस लड़की का पीछा किये जा रहा था और वह भी पैदल ! फिर वह गली की ATM में गयी, पर 'रुपया नहीं है' लिखा का बोर्ड टंगा, उसे जैसे ही दिखाई दी, वह मुड़ी और आगे बढ़ चली । मेरा धैर्य जवाब दे गया और मैंने प्रश्नोत्तर का निश्चय करके उसे टोक ही दिया-- 'ऐ सुनो ...!!'
पर वो ना सुनी, ना ही रुकी , क्योंकि शाम के 7 की घन्टी कुछ देर पहले एक एरिया में सुनाई दे चुकी थी। उसने यह सोची होगी कि कहीं उनकी साथ कोई कुछ घटित न हो जाय, इसलिए वो नहीं रुकी । फिर हिम्मत करके मैंने पुनः टोका-- 'ऐ सुनो...! आपसे ही कह रहा हूँ !!'
अबकी वो रुकी, ठहरी और बोली-- 'क्या है ??' मैं अनिश्चय की स्थिति से निकलते हुए अपने दिल की जुबान को स्वमेव चला दी-- 'मैं पिछले 4 घंटे से आपकी पीछा कर रहा हूँ , पर आप ऐसी-ऐसी स्लम जगहों पर से निकल रहे हैं कि मेरा मन उबकी करने का कर रहा है'-- मैंने यह बात एक ही सुर-ताल में कह डाला । इसपर उसने मुझे देखी और हँस पड़ी । मुझे अटपटा लगा,परन्तु उसकी हँसी मेरी दिल में समा गई ।
मैंने पूछा-- 'क्यों हँस रही हैं आप ?' उनकी जवाब ने मेरे 4 घंटे की मेहनत को चार-चाँद लगा दिया । उसने कहा-- 'मैंने तुम्हें जान-बूझकर ऐसी एरिया और ऐसी जगह लाई हूँ ??' उस परी-सी लड़कीे के जवाब ने मेरे जवां दिल को और भी बच्चा बना दी । मैंने कहा-- 'आपने मुझे नहीं लाई, अपितु मैं तो खुद ब खुद आपके पीछे आया हूँ !'
'कैसे ??'
'कैसे मत पूछो? मैं तो बस तुम्हे हालात दिखा रही थी-- 'उदय भारत की..?'
मैंने कहा-- 'ऐसी भारत ! जहाँ इतनी गरीबी, भूखमरी, पानी का संकट है, पर आप हैं कौन .... और मुझे ये सब क्यों दिखा रही है ?'
उसने कहा-- 'मैं तुम्हारी माँ हूँ !!'
मैं तो पागल-सा हो गया । मैंने कहा-- 'मेरी माँ तो घर पर है और आप अभी लगती हैं, मात्र 25 की और मेरा भी इतना ही उम्र है, फिर बताएँगी आप किस तरह से मेरी माँ हैं ?'
उसके जवाब ने मुझे और भी शॉक्ड कर दिया-- 'मैं पूरे भारत की माँ हूँ ।'
प्रत्युत्तर में मैंने कहा-- 'अब आप मुझे इर्रिटेड मत कीजिये ...!!'
वो बोली-- 'पगले ! मैं भारत माँ हूँ ।'
मुझे लगा कि आज किसी लड़की को 'पागल' बनने की मन हो आई है ?
या तो मैंने क्यों पीछा ही किया ??
मैं भी क्वेश्चन पर क्वेश्चन दागे जा रहा था-- 'भारत माँ और इतनी मॉडर्न !!'
उस कथित 'भारत माता' से उत्तर सुनने से पहले ही 'अलार्म' की घंटी बजी और मैं जग गया । आँख खुली तो पाया कि आज 'स्वतंत्रता दिवस' अपने 71 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है और मैं आँख मलते ही कह उठा-- 'भारत माता की जय ।'
--- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।
आज भारी भीड़ में एक युवती की ओर आकर्षित हुआ ! यह युवती भारतीय लड़की-सी दिख रही थी, हालाँकि उस भीड़ में काफी लड़की थी, लेकिन उस 5'10" ऊँची-लंबी युवती में आखिर क्या थी कि मैं उनकी ओर खींचा चला जा रहा था ? वो लगती थी, तो साधारण घर की ! परन्तु पहनावा मॉडर्न युगीन लड़की जैसी-- काली जीन्स के साथ टॉप, लंबी नाक-नक्श पर मासूम-सा तिल, जिसके कारण गोरे चेहरे पर नाजुक मुस्कान के साथ वो काफी प्यारी लग रही थी और मैं खड़े भीड़ में बस उसे निहारे जा रहा था । वो जहाँ-जहाँ जा रही थी मैं उसकी नाजुक क़दमों के टापों से कुछ दूरी लिए पीछा कर रहा था । काफी देर तक पीछा करने के बाद वह मुझे कई घुमावदार गलियों से घुमाते हुए लिए जा रही थी , पर उसे यह नहीं पता था कि कोई उनकी पीछे लगा है ! वो अपनी स्मार्टफोन पर कुछ टाइप करती हुई , शायद चैटिंग करती हुए आगे गली में आगे बढ़ी चली जा रही थी !
वो मुझे ऐसी गलियों में प्रवेश करायी, जहाँ स्लम बच्चे नग्न-धड़ंग हो सूखी रोटी को खा रहे थे । मुझे लगा 'कैसी' एरिया में वह रहती है ? इतनी मॉडर्न लड़की ! पर मेरा सोचना गलत था, क्योंकि वो वहां रुकी नहीं , आगे बढ़ती चली जाती रही । अभी तक मैं उसके पीछे चल अपना कीमती एक घंटा गँवा चुका था, वो फिर आगे बढ़ी, मैं भी साथ हो ली ! वो चलती चली जा रही थी, बिना रुके-थके अनवरत चली जा रही, मुझे थकाए हुए !
मैंने भी सोच लिया था कि इस मॉडर्न लड़की का घर देखकर रहूँगा अवश्य ही ! वो अब ऐसी एरिया में रुकी, जहाँ लोग पानी के लिए झगड़ रहे थे । मैंने सोचा कोई 'सोशल वर्कर' होगी, इसलिए ऐसी एरिया में आ रुकी है , पर कहीं से भी वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी , बस आगे बढ़े जा रही थी । हालात को देखते हुए मैं भी बढ़ा चला जा रहा था । अब वो ऐसी जगह से जा रही थी, जहाँ के सड़क का सिचुएशन 'जर्जर' था, वह कुछ देर के लिए वहाँ रुकी और फिर आगे बढ़ी, मैं भी बढ़ा उनकी पदचापों के मौन-सहारे । अब मुझमें इसतरह से पीछा करने की शक्ति शेष नहीं रह गया था, क्योंकि मैं पिछले 4 घंटे से उस लड़की का पीछा किये जा रहा था और वह भी पैदल ! फिर वह गली की ATM में गयी, पर 'रुपया नहीं है' लिखा का बोर्ड टंगा, उसे जैसे ही दिखाई दी, वह मुड़ी और आगे बढ़ चली । मेरा धैर्य जवाब दे गया और मैंने प्रश्नोत्तर का निश्चय करके उसे टोक ही दिया-- 'ऐ सुनो ...!!'
पर वो ना सुनी, ना ही रुकी , क्योंकि शाम के 7 की घन्टी कुछ देर पहले एक एरिया में सुनाई दे चुकी थी। उसने यह सोची होगी कि कहीं उनकी साथ कोई कुछ घटित न हो जाय, इसलिए वो नहीं रुकी । फिर हिम्मत करके मैंने पुनः टोका-- 'ऐ सुनो...! आपसे ही कह रहा हूँ !!'
अबकी वो रुकी, ठहरी और बोली-- 'क्या है ??' मैं अनिश्चय की स्थिति से निकलते हुए अपने दिल की जुबान को स्वमेव चला दी-- 'मैं पिछले 4 घंटे से आपकी पीछा कर रहा हूँ , पर आप ऐसी-ऐसी स्लम जगहों पर से निकल रहे हैं कि मेरा मन उबकी करने का कर रहा है'-- मैंने यह बात एक ही सुर-ताल में कह डाला । इसपर उसने मुझे देखी और हँस पड़ी । मुझे अटपटा लगा,परन्तु उसकी हँसी मेरी दिल में समा गई ।
मैंने पूछा-- 'क्यों हँस रही हैं आप ?' उनकी जवाब ने मेरे 4 घंटे की मेहनत को चार-चाँद लगा दिया । उसने कहा-- 'मैंने तुम्हें जान-बूझकर ऐसी एरिया और ऐसी जगह लाई हूँ ??' उस परी-सी लड़कीे के जवाब ने मेरे जवां दिल को और भी बच्चा बना दी । मैंने कहा-- 'आपने मुझे नहीं लाई, अपितु मैं तो खुद ब खुद आपके पीछे आया हूँ !'
'कैसे ??'
'कैसे मत पूछो? मैं तो बस तुम्हे हालात दिखा रही थी-- 'उदय भारत की..?'
मैंने कहा-- 'ऐसी भारत ! जहाँ इतनी गरीबी, भूखमरी, पानी का संकट है, पर आप हैं कौन .... और मुझे ये सब क्यों दिखा रही है ?'
उसने कहा-- 'मैं तुम्हारी माँ हूँ !!'
मैं तो पागल-सा हो गया । मैंने कहा-- 'मेरी माँ तो घर पर है और आप अभी लगती हैं, मात्र 25 की और मेरा भी इतना ही उम्र है, फिर बताएँगी आप किस तरह से मेरी माँ हैं ?'
उसके जवाब ने मुझे और भी शॉक्ड कर दिया-- 'मैं पूरे भारत की माँ हूँ ।'
प्रत्युत्तर में मैंने कहा-- 'अब आप मुझे इर्रिटेड मत कीजिये ...!!'
वो बोली-- 'पगले ! मैं भारत माँ हूँ ।'
मुझे लगा कि आज किसी लड़की को 'पागल' बनने की मन हो आई है ?
या तो मैंने क्यों पीछा ही किया ??
मैं भी क्वेश्चन पर क्वेश्चन दागे जा रहा था-- 'भारत माँ और इतनी मॉडर्न !!'
उस कथित 'भारत माता' से उत्तर सुनने से पहले ही 'अलार्म' की घंटी बजी और मैं जग गया । आँख खुली तो पाया कि आज 'स्वतंत्रता दिवस' अपने 71 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है और मैं आँख मलते ही कह उठा-- 'भारत माता की जय ।'
--- प्रधान प्रशासी-सह-संपादक ।
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