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6.07.2017

"सोशल-मीडिया पर लेखनी के वाया एक 'फुसफुसाहट"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     07 June     अतिथि कलम     No comments   

आखिर किसने फेसबुक, ट्वीटर आदिरूपी मीडिया को 'सोशल मीडिया' कहा, जबकि दरअसल यह 99.99 फ़ीसदी अनसोशल है । प्रति दिवस-रात्रि के 24 घंटे में 1 घंटा तो यह लोगों से प्रेममिश्री की बात करता है, किन्तु शेष 23 घंटे इनमें उनके गाली-गलौज से पाटने शुरू हो जाते हैं ....। 'ये दुनिया पित्तल दी' गाना जब लोगों के कानों में आती है, तो लोग अपने-आप गुनगुनाने लग जाते हैं, तभी लोगों से होते हुए यह फिल्मी-गाना कब सोशल-मीडिया पर छा जाते हैं, मार्क जुकरबर्ग तक को पता नहीं चल पाता ! आज मैसेंजर ऑफ ऑर्ट में पढ़ते हैं, कवयित्री नीतू सुदीप्ति 'नित्या' की 'सोशल मीडिया' पर लेखनी के वाया एक 'फुसफुसाहट' (कविता) .... । आइये, पढ़ते हैं.....




"सोशल-मीडिया"

माँ की लोरी फ़िल्मी-गीत 
डाउनलोड पिता के साथ 
गुगल सर्च तो रिश्तेदार है यार 
फेसबुक पर प्यार की बतियाँ 
ईमेल है मशीनी चिट्ठियाँ
व्हाट्सएप्प जगाए सारी रतियाँ 
ट्वीटर पर लगाकर नमक-मिर्च 
ब्लॉग है अपनेपा कहने की दास्ताँ 
यू ट्यूब पर नए-नए मेहमान 
सोशल मीडिया की आज यही पहचान 
प्रेमी-प्रेमिका,पति-पत्नी की तरह
निभाए  24 घंटे साथ 
आज किसी रिश्ते का काम नहीं 
सेलफोन पे समाया है सारे जहाँ !


नमस्कार दोस्तों ! 


'मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें  Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
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