MESSENGER OF ART

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Contribute Here
  • Home
  • इनबॉक्स इंटरव्यू
  • कहानी
  • कविता
  • समीक्षा
  • अतिथि कलम
  • फेसबुक डायरी
  • विविधा

4.21.2017

"हैप्पी बर्थडे ग्लोब माता"

 मैसेंजर ऑफ ऑर्ट     21 April     विविधा     No comments   

                   "22 अप्रैल : पृथ्वी दिवस है, आइए मनाइये"



हैप्पी बर्थडे ग्लोब माता । धरती यानी पृथ्वी अपना बर्थडे हर वर्ष 22 अप्रैल को मनाती है । इस वर्ष पृथ्वी 4.54 अरब साल की हो गयी है, बावजूद अब भी जवान हो, लेकिन मोटी हो गयी हो, क्योंकि 597290000000000 अरब किलोग्राम भार पृथ्वी की हो गयी है, यह मनुष्य, पशुओं सहित सामानों की है ।परन्तु वास्तविक मोटाई में कोई चेंजिंग नहीं हुई है, वो तब भी 6371 KM थी । अब भी उतनी है । आपके पिता सूर्य कितने बड़े निर्मोही निकले कि तुम्हे ब्याह दी 149,500,000,KM दूर, जहाँ रिश्तेदार में भी कोई नहीं है आस-पास । एक भाई है चन्द्रमा वो भी है 370,300 KM दूर..!! जो पिता के निर्मोहिता भरी गर्मी के कारण भाई होकर बहन को शीतल करना फ़र्ज़ मानता है । हो भी क्यों नहीं इकलोती बहन जो ठहरी ...!! तुम्हारी बर्थडे डे पर एक वो ही दिल से गिफ्ट भेजता है कि 'तुम जियोगी 2.4 अरब साल या उससे भी अधिक' और बच्चों के तरफ से मिलती है तुम्हे गिफ्ट के रूप में PESTICIDE की पुड़िया, जो तुम्हे बाँझ बना रही है और POLYTHENE की नमकहरामी, जो तुम्हारी आँसू छीन रही है । तुम्हारे बच्चे मामा की शीतलता को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि बच्चों ने बना लिए REFRIGERATOR, जिनमें होते हैं-- खतरनाक रसायन । जो करते है तुम्हारी ममतामयी परतों को कमजोर, बावजूद तुम धारण करती हो, नदियों के पानी को । जो देती है मिठास भरी ज़िन्दगी इंसानों को । तुम्हारी 1.4 करोड़ प्रजातियाँ बच्चे काट रहे हैं, तुम्हारी सहेली पेड़ों को । ताकि हो सके, उनकी खानापूर्ति ..!! तुम्हारे बच्चे 6 अरब किलोग्राम कूड़ा रोज समु्द्र में डालते है, पर कोई तुम्हारी आँसू नहीं देख पाते है, इस उफनाती समुद्री तूफान के रूप में ..! यहाँ प्रति 8 सेकंड में एक बच्चा गंदा पानी पीने से मर जाते हैं और धरती माँ बस दूसरे बच्चों को समझाने में रह जाते हैं । तुम्हे हर कोई अलग-अलग नाम से पुकारते हैं,कोई तुम्हे भूमि , तो कोई तुम्हे अन्नदात्री, कोई तुम्हें धरा ,तो कोई बिना नामधारण के ही । टेरा कहते है पर तुम्हे मैं माता या माँ या ग्लोबमाता ही कहूँगा, क्योंकि माँ ही समझ पाती है दर्द बच्चों के, चाहे बच्चे सुपुत्र हो या कुपुत्र ..!!

टी.मनु --
  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Newer Post Older Post Home

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

  • 'रॉयल टाइगर ऑफ इंडिया (RTI) : प्रो. सदानंद पॉल'
  • 'महात्मा का जन्म 2 अक्टूबर नहीं है, तो 13 सितंबर या 16 अगस्त है : अद्भुत प्रश्न ?'
  • "अब नहीं रहेगा 'अभाज्य संख्या' का आतंक"
  • "इस बार के इनबॉक्स इंटरव्यू में मिलिये बहुमुखी प्रतिभाशाली 'शशि पुरवार' से"
  • 'जहां सोच, वहां शौचालय'
  • "प्यार करके भी ज़िन्दगी ऊब गई" (कविताओं की श्रृंखला)
  • 'कोरों के काजल में...'
  • 'बाकी बच गया अण्डा : मैसेंजर ऑफ़ ऑर्ट'
  • "समाजसेवा के लिए क्या उम्र और क्या लड़की होना ? फिर लोगों का क्या, उनका तो काम ही है, फब्तियाँ कसना !' मासिक 'इनबॉक्स इंटरव्यू' में रूबरू होइए कम उम्र की 'सोशल एक्टिविस्ट' सुश्री ज्योति आनंद से"
  • "शहीदों की पत्नी कभी विधवा नहीं होती !"
Powered by Blogger.

Copyright © MESSENGER OF ART